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सिर्फ एक कॉल बचा सकती है जान!

सिर्फ एक काल और बचा सकती है जान! इसके लिए मुफ्त स्वास्थ्य सेवा रथ 24 घंटे तैयार रहता है। जी हां, सुदूर ग्रामीण अंचल में इसे साकार किया है समाजसेवी ज्ञान प्रकाश ¨सह ने। न शोहरत की लालसा, न धन का लालच, बस कराहते मरीजों की मुस्कान लौटाना बना लिया ¨जदगी का मकसद। गरीब-गुरबों का मुफ्त उपचार कर उन्हें नया जीवन देने की प्रेरणा इन्होंने पिता की सीखी है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 01 Jan 2019 10:05 PM (IST)Updated: Tue, 01 Jan 2019 10:05 PM (IST)
सिर्फ एक कॉल बचा सकती है जान!
सिर्फ एक कॉल बचा सकती है जान!

जागरण संवाददाता, जौनपुर: सिर्फ एक काल और बचा सकती है जान! इसके लिए मुफ्त स्वास्थ्य सेवा रथ 24 घंटे तैयार रहता है। जी हां, सुदूर ग्रामीण अंचल में इसे साकार किया है समाजसेवी ज्ञान प्रकाश ¨सह ने। न शोहरत की लालसा, न धन का लालच, बस कराहते मरीजों की मुस्कान लौटाना बना लिया ¨जदगी का मकसद। गरीब-गुरबों का मुफ्त उपचार कर उन्हें नया जीवन देने की प्रेरणा इन्होंने पिता की सीखी है।

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जिला मुख्यालय से सटे गोधना गांव निवासी ज्ञान प्रकाश ¨सह ने उपचार के अभाव में कराहते मरीजों की पीड़ा को नजदीक से देखा है। बचपन से ही उनके मन में लालसा थी कि अगर भगवान ने साम‌र्थ्यवान हुआ तो लोगों का मुफ्त इलाज कराऊंगा। मुकाम हासिल होने के बाद मां व पिता के नाम से एक ट्रस्ट बनाकर सामाजिक सरोकार में जुट गए। पहले मुंबई व उससे सटे ग्रामीणांचलों में स्वाथ्य शिविर के माध्यम से जरूरतमंदों से उपचार की शुरूआत की। छह माह पूर्व श्रीमती अमरावती श्रीनाथ ¨सह चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम मुफ्त उपचार की शुरुआत की। स्वास्थ्य सेवा रथ में संसाधनों से लैस चिकित्सक व स्वास्थ्य कर्मचारी सूचना पाते ही दरवाजे पर जाकर प्रथम उपचार के साथ ही बीमारियों के अनुसार अस्पतालों में पहुंचाते हैं। वहीं गांवों में शिविर लगाकर परीक्षण व दवाएं दी जाती हैं।

पूछने पर श्री ¨सह ने बताया कि पिताजी खेती के साथ ही किराना की दुकान चलाते थे। उनके यहां आए दिन उपचार हेतु गरीब-गुरबे सहायता को आते थे। मुफिलिसी के बाद भी वह हर संभव मदद करते थे। उनकी प्रेरणा से मुफ्त चिकित्सा की शुरुआत किया हूं। आवश्यकता को देखते हुए एक और स्वास्थ्य सेवा रथ जनता को समर्पित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि छह माह में ग्रामीण अंचलों में शिविर लगाकर सात हजार लोगों का परीक्षण कर दवाएं वितरित की गईं।


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