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अब ट्राईसाइकिल नहीं, पैदल स्कूल जाएगा अमन

सड़क हादसे में एक पैर गंवा चुका अमन अब ट्र्राईसाइकिल नहीं पैरों से चलकर स्कूल जाएगा। एक साल से दिव्यांग की जिदगी जी रहे इस किशोर के लिए नेकी की बैसाखी बने समाजसेवी ज्ञान प्रकाश सिंह ने कृत्रिम पैर लगाने की जिम्मेदारी ली है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 07 Sep 2019 07:52 PM (IST)Updated: Sat, 07 Sep 2019 07:52 PM (IST)
अब ट्राईसाइकिल नहीं, पैदल स्कूल जाएगा अमन
अब ट्राईसाइकिल नहीं, पैदल स्कूल जाएगा अमन

जागरण संवाददाता, जौनपुर: सड़क हादसे में एक पैर गंवा चुका अमन अब ट्र्राईसाइकिल नहीं पैरों से चलकर स्कूल जाएगा। एक साल से दिव्यांग की जिदगी जी रहे इस किशोर के लिए 'नेकी की बैसाखी' बने समाजसेवी ज्ञान प्रकाश सिंह ने कृत्रिम पैर लगाने की जिम्मेदारी ली है। इस आश्वासन पर अपने जिगर के टुकड़े का उपचार कराने में कर्जदार हुए पिता की आंखें खुशी से डबडबा गईं।

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सिरकोनी क्षेत्र के सैदाबाद कलवारी गांव निवासी विजय राय मौर्य बटाई पर खेती व मजदूरी करके जीविकोपार्जन करते हैं। एक साल पूर्व घर के समीप सड़क हादसे में बेटे अमन का पैर बुरी कुचल गया। उसे उपचार के लिए जिला अस्पताल लाया गया जहां स्थिति गंभीर देख चिकित्सक ने वाराणसी रेफर कर दिया। बीएचयू ट्रामा सेंटर में 15 दिन उपचार के बाद पैर में गैगरीन होने पर चिकित्सकों ने कहीं और ले जाने की बात कहते हुए अस्पताल से निकाल दिया। बेटे को दिव्यांग होने से बचाने के लिए काफी अनुनय किया लेकिन चिकित्सकों ने इलाज के लिए हामी नहीं भरी। निराश होकर वह बेटे को लेकर मुंबई के बोरीबली स्थित एक प्राइवेट अस्पताल में गया जहां उसे नायर हास्पिटल में जाने की सलाह दी गई। नायर हास्पिटल के चिकित्सक ने बताया कि अधिक संक्रमण होने के कारण पैर काटना पड़ेगा। बेटे की जिदगी बचाने के लिए वह तैयार हो गया। बेटे को कृत्रिम पैर के सहारे चलने की लालसा से वह केईएम हास्पिटल गया। जहां परीक्षण के बाद लगभग डेढ़ लाख रुपये खर्च आना बताया गया। उपचार में सब कुछ गंवा चुके श्रमिक पिता उम्मीद छोड़ते हुए बेटे को लेकर वापस घर लौट आया। तेरह वर्ष की अवस्था में पैर कट जाने के बाद अमन इमदाद में मिले ट्राईसाइकिल से स्कूल पढ़ने जाने लगा।

विजय को एक दिन किसी ने बताया कि बगल के गांव गोधना इलिमपुर गांव निवासी ज्ञान प्रकाश सिंह से मिलो। वह नि:स्वार्थ भाव से सामाजिक सरोकार के साथ गरीबों, बेसहारा लोगों की मदद करते हैं। शुक्रवार को उनके गृह जनपद आने की सूचना पर वह बेटे को लेकर जिला मुख्यालय स्थित उनके कार्यालय पहुंचा। जहां उनसे आपबीती सुनाते हुए मदद की गुहार लगाई। श्री सिंह ने सहजता से स्वीकार करते हुए कहा कि तुम जल्द से जल्द मुंबई आ जाओ। बेटे के कृत्रिम पैर व उपचार में जो भी खर्च आएगा उसका भुगतान वह करेंगे।


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