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कुएं में डूबकर मैकेनिक की मौत

सिकरारा क्षेत्र के खानापट्टी गांव में मंगलवार को कुएं में डूबकर मैकेनिक की दर्दनाक मौत हो गई। वह पानी में डूबे पंपिगसेट का पंखा निकालने के लिए नीचे उतरा था। दशहरा के दिन हुई घटना से गांव में खुशी का माहौल मातम में बदल गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 09 Oct 2019 05:04 PM (IST)Updated: Wed, 09 Oct 2019 05:04 PM (IST)
कुएं में डूबकर मैकेनिक की मौत
कुएं में डूबकर मैकेनिक की मौत

जागरण संवाददाता, जौनपुर: सिकरारा क्षेत्र के खानापट्टी गांव में मंगलवार को कुएं में डूबकर मैकेनिक की मौत हो गई। वह पानी में डूबे पंपिगसेट का पंखा निकालने के लिए नीचे उतरे थे। दशहरा के दिन हुई घटना से गांव में खुशी का माहौल मातम में बदल गया।

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दुर्गापार गांव निवासी तेज बहादुर निषाद उर्फ तेजू (45) नलकूप मरम्मत करके अपने परिवार की आजीविका चलाता था। क्षेत्र में किसी का भी पम्पिग सेट मशीन जब बिगड़ता तो तेजू ही उसको ठीक करता था। लोगों ने बताया कि वह गहरे से गहरे कुएं में उतरकर पम्पिग सेट की मशीन बना देता था। दशहरा के दिन लगभग डेढ़ बजे वह खानापट्टी गांव पंपिगसेट का पंखा खोलने के लिए के लिए कुएं में उतरा। पंखे का एक बोल्ट खोलने के बाद वह दूसरा बोल्ट खोलने के लिए उसने पानी में डुबकी लगाया। देर होने पर सहयोगियों ने रस्सी ऊपर खींचा तो पंखा तो पानी से बाहर आया पर तेजू का पता नहीं चला। इससे लोग घबरा गए। अनहोनी की आशंका में लोगों ने कटिया भी कुआं में डाला पर उससे भी पता नहीं चला। आनन-फानन में गोताखोरों को बुलाया गया। मशक्कत के बाद मिस्त्री को बाहर निकाला। इस दौरान लगभग एक घंटे से अधिक का समय बीत गया। लोगों ने एक निजी चिकित्सक को बुलाया। उन्होंने जांच के बाद मृत घोषित कर दिया। गोताखोरों ने बताया कि उक्त कुएं में लगभग तीस फिट से अधिक गहराई पर पानी था। सूचना पाकर मौके पर पहुंचे थानाध्यक्ष पन्नेलाल ने शव को कब्जे में लेकर पंचनामा कर पोस्टमार्टम हेतु भेज दिया। मौके पर पहुंची तेजू की पत्नी सुनीता ने जब पति को मृत हालत में देखा तो गश खाकर गिर पड़ी। पुत्र सुशील व बेटी पूजा पिता के शव से लिपटकर दहाड़े मारकर रोने लगी। तेजू तीन भाइयों में सबसे छोटा था। माता पिता व बड़े भाई की मृत्यु हो चुकी है। मझला भाई विजय बहादुर निषाद मध्य प्रदेश में मजदूरी कर परिवार की आजीविका चला रहा है। तेजू के आकस्मिक मौत से परिवार पर मानो बज्रपात हो गया हो। मौके पर जुटी भीड़ के मुंह से यही आवाज सुनाई पड़ रही थी कि कैसे होगा परिवार का गुजारा।


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