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उदासीनता से परवान नहीं चढ़ पा रही ओडीओपी योजना

बैंकों की मनमानी की वजह से वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) योजना औंधे मुंह गिर गई। जिला उद्योग कार्यालय में दरी उद्योग के लिए चयनित किए गए अधिकतर आवेदकों को बैंकों ने लोन देने से मना कर दिया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 14 Jan 2020 06:41 PM (IST)Updated: Tue, 14 Jan 2020 06:41 PM (IST)
उदासीनता से परवान नहीं चढ़ पा रही ओडीओपी योजना
उदासीनता से परवान नहीं चढ़ पा रही ओडीओपी योजना

जागरण संवाददाता, जौनपुर: बैंकों की मनमानी की वजह से वन डिस्ट्रिक्ट-वन प्रोडक्ट (ओडीओपी) योजना औंधे मुंह गिर गई। जिला उद्योग कार्यालय में दरी उद्योग के लिए चयनित किए गए अधिकतर आवेदकों को बैंकों ने लोन देने से मना कर दिया। बैंक आवेदकों को यह कहकर बरगलाते रहे कि उनकी फाइल अभी तक आयी ही नहीं। लोन पाने के लिए बैंक प्रबंधक द्वारा दु‌र्व्यवहार की शिकायत जिलाधिकारी तक से की गई, लेकिन नतीजा कोई नहीं निकला। शासन ने ओडीओपी के तहत दरी उद्योग को चुना है। इसके तहत एक लाख रुपये से लेकर डेढ़ करोड़ रुपये पर सब्सिडी के तहत लोन की सुविधा तो शुरू की गई, लेकिन कागजी। वेंटीलेटर पर चल रहे इस उद्योग में जान डालने को दावे तो बड़े-बड़े किए लेकिन बैंकों के अड़ियल रवैये से उद्योग स्थापित चाह रखने वाले निराश हैं।

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देखा जाय तो दरी का सर्वाधिक कारोबार रामपुर, रामनगर व बरसठी ब्लाक में होता है। कुछ समय पहले तक जहां 200 परिवार के करीब एक हजार लोग इस व्यवसाय से जुड़े थे, वहीं अब इनकी संख्या आधी रह गई है। अपनी कारीगरी के बल पर पहचान बचाने की जद्दोजहद कर रहे हुनरमंद मुफलिसी का जीवन जीने को मजबूर हैं। सरकार की ओर से 'वन डिस्ट्रिक वन प्रोडक्ट में दरी उद्योग को शामिल करने से इस उद्योग की बेहतरी की संभावना तो जागी, लेकिन बैंक के मनमानी से योजना सफल नहीं हो सकी। जिला उद्योग कार्यालय की ओर से उद्योग स्थापित की चाह रखने वाले गतवर्ष 28 आवेदकों के लिए 114 लाख सब्सिडी की फाइल बैंकों को प्रेषित की गई, जिसमे महज तीन को ही लोन मिल सका। बैंकों की ओर से दलील दी जा रही है कि गरीब लोग हैं, लोन चुका नहीं पाएंगे। दो लाख के लोन में बंधक की जरूरत नहीं है। बावजूद इसके आवेदकों को इसके लिए मजबूर किया जा रहा है।

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योजना का हश्र देखिए

वर्ष 2018 में महज एक को मिल सका लोन

बीते वर्ष 28 आवेदकों के लिए 114 लाख सब्सिडी की फाइल बैंकों को प्रेषित की गई, जिसमे महज तीन को लोन मिल सका। वर्ष 2019-20 के लिए ओडीओपी के तहत बैंकों को भेजी गई फाइलें

यूनियन, एसबीआइ, काशी गोमती संयुत ग्रामीण एवं इलाहाबद बैंक को कुल 45 फाइलें भेजी गईं, लेकिन लोन महज चार को ही मिल सका। इसके अलावा मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना के तहत भेजी गई 107 फाइलों में महज 13 को ही लोन मिल सका। साथ ही प्रधानमंत्री प्रधानमंत्री स्वरोजगार सृजन कार्यक्रम के लिए भेजी गई 94 फाइलों में महज 23 ही स्वीकृत हो सके। बता दें कि नेवढि़या निवासी शमीम सेठ ने भवानीगंज स्थित यूनियन बैंक की शाखा में गतवर्ष जनवरी माह में ओडीओपी के तहत लोन के लिए आवेदन किया था। आवेदक को तीन महीने चक्कर लगवाया गया। सब्र का बांध टूटने पर जब उसने प्रबंधक से सवाल पूछा तो उससे अभद्र व्यवहार किया गया, जिसकी शिकायत तत्कालीन डीएम अरविद मलप्पा बंगारी से भी की गई।

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वर्जन

सारी प्रक्रिया पूरी करने के बाद बैंकों को भेजी जा रही फाइलों पर लोन पास नहीं किया जा रहा है। एक माह के भीतर लोन पास हुआ अथवा नहीं, इसको लेकर स्थिति तक स्पष्ट नहीं की जा रही है। योजना को अमलीजामा पहनाने के लिए जरूरत के हिसाब से बैंकों का सहयोग नहीं मिल पा रहा है।

-मयाराम सरोज, उपायुक्त जिला उद्योग, उद्यम प्रोत्साहन केंद्र ।

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ऐसा नहीं है कि योजना के तहत बैंक लोन नहीं दे रहे हैं। बैंकों के पास अन्य योजनाओं के तहत भी लोन देते हैं। ऐसे में कई बार कुछ फाइलें रह जाती हैं। ओडीओपी के तहत गई फाइलों को लोन दिलाने का हर संभव प्रयास किया जाएगा।

-उदय नारायण, एलडीएम।


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