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सगे भाई समेत पांच को उम्र कैद

दीवानी न्यायालय के अधिवक्ता राम सुचित यादव निवासी अलापुर मीरगंज की हत्या कर पंवारा थाना क्षेत्र के चितांव स्थित नहर पुलिया के पास शव जलाने के मामले में अधिवक्ता के सगे भाई रामनारायण उसकी पत्नी दो पुत्रियों व पुत्र को अपर सत्र न्यायाधीश महेंद्र सिंह ने आजीवन कारावास व प्रत्येक को पचीस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 07 May 2019 06:04 PM (IST)Updated: Tue, 07 May 2019 06:04 PM (IST)
सगे भाई समेत पांच को उम्र कैद

जागरण संवाददाता, जौनपुर: दीवानी न्यायालय के अधिवक्ता राम सुचित यादव निवासी अलापुर मीरगंज की हत्या कर पंवारा थाना क्षेत्र के चितांव स्थित नहर पुलिया के पास शव जलाने के मामले में अधिवक्ता के सगे भाई रामनारायण, उसकी पत्नी, दो पुत्रियों व पुत्र को अपर सत्र न्यायाधीश महेंद्र सिंह ने आजीवन कारावास व प्रत्येक को पचीस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।

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अभियोजन कथानक के अनुसार वादी संगीता के पिता रोज दीवानी न्यायालय वकालत करने जाते थे। 30 अक्टूबर 2015 को शाम 4:00 बजे वादिनी के उनसे बात भी हुई थी लेकिन देर शाम तक वह वापस नहीं लौटे। दूसरे दिन सूचना मिली कि राम सुचित का अधजला शव चितांव नहर बनई नाला पुलिया के नीचे अधजली अवस्था में पड़ा था। वादिनी का कोई भाई नहीं था। वह पिता के साथ रहते थी। वादिनी के चाचा रामनारायण व उनका परिवार उसके पिता की संपत्ति हड़पना चाहते थे। संपत्ति को लेकर कई बार दु‌र्व्यवहार कर चुके थे। रामनारायण, उसकी पत्नी सुशीला, पुत्री लक्ष्मी व आरती, पुत्र विजय, रामनारायण के साढू के लड़के सूरज व रवि ने मिलकर राम सुचित की हत्या की योजना बनाया। शाम को 8:00 बजे रेलवे लाइन के निकट आरोपी छिप कर बैठ गए। कचहरी से लौटकर जैसे ही राम सुचित करीब 8:00 बजे शाम उधर से गुजरे आरोपियों ने उन्हें दबोच लिया। आरती ने गड़ासी से उनके सर पर वार किया। सूरज व रवि ने चाकू से उनका गला रेत दिया। आरोपी रामनारायण व विजय भी गिरफ्तार हुए। विजय की जेब से मोबाइल बरामद हुआ जिसका घटना में इस्तेमाल किया गया था। अभियोजन पक्ष से एडीजीसी अनूप शुक्ला, अवधेश सिंह, बलराम यादव ने गवाहों को परीक्षित कराया। बचाव पक्ष के अधिवक्ता उपेंद्र विक्रम का तर्क था कि आरोपी राम नारायण परिवार के साथ घटना के समय भी मुंबई में था तथा वही वर्षों से कारोबार करता था। प्रशासनिक व अधिवक्ता संघ के दबाव में आरोपियों को फंसाया गया। नारको टेस्ट, ब्रेन मैपिग, पॉलीग्राफ़ टेस्ट इत्यादि विवेचक द्वारा नहीं कराया गया। कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद फैसला सुनाया कि संपत्ति हड़पने की नियत से सामान्य उद्देश्य से आरोपियों ने मिलकर अधिवक्ता रामसुचित की हत्या की व साक्ष्य छिपाने के लिए शव को जलाया। घटना वाली रात अभियुक्तों का बार बार आना जाना व आधी रात को फरार हो जाना उनका आचरण प्रदर्शित करता है। संपत्ति को लेकर पूर्व में कई बार विवाद भी किया। कोर्ट ने पांचों आरोपियों को दोषी पाते हुए सजा सुनाया। आरोपी सूरज के अवयस्क होने के कारण उसकी पत्रावली किशोर न्याय बोर्ड भेज दी गई थी। आरोपित रवि घटना के बाद से आज तक फरार है।

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