गम, गर्व और गुस्से के बीच जौनपुर के शहीद को आखिरी सलाम
लोगों की आंखे नम थी किंतु सीना गर्व से चौड़ा हो रहा था। यहां नम आंखों से लोग एक जाबांज राजेश कुमार बिंद की दास्तां सुन और सुना रहे थे।
जौनपुर (जेएनएन)। दिन शुक्रवार, स्थान करियांव, मीरगंज। समय, रात का वक्त। आंधी-तूफान और तेज गरज के साथ हो रही बारिश, फिर भी हर ओर भीड़-भाड़, सभी के चेहरे पर गम और गुस्सा दिख रहा था। बेजुबान हुए लोगों की आंखे नम थी किंतु सीना गर्व से चौड़ा हो रहा था। माहौल ही कुछ ऐसा था। यहां नम आंखों से लोग एक जाबांज की दास्तां सुन भी रहे थे, दूसरों को सुना भी रहे थे। अपने घर-गांव से दूर छत्तीसगढ़ में नक्सलियों द्वारा बिछाए गए आइईडी विस्फोट में शहीद हुए सीआरपीएफ के दारोगा राजेश कुमार बिंद का तिरंगे से लिपटा पार्थिव शरीर यहां शुक्रवार तड़के तीन बजे पहुंचा। इनके अंतिम दर्शन को दूर-दूर से लोग उमड़े थे। सुबह शवयात्रा में शामिल लोग इस सपूत की जय जयकार कर रहे थे। अब तक चुप रहने वाले जवानों में भी शक्ति का अजीब सा संचार हुआ तो उनके मुंह से भारत माता की जय...। शहीद राजेश कुमार अमर रहें के गगनभेदी नारे लगने लगे।
सीआरपीएफ लखनऊ के डीएसपी रजनीश कुमार पाठक अन्य जवानों के साथ शहीद राजेश कुमार बिंद का पार्थिव शरीर उनके पैतृक घर पर लेकर पहुंचे। सीआरपीएफ के डीआइजी आर डींगडांग, डीएसपी वाराणसी धीरेंद्र कुमार पाठक, एसडीएम मछली शहर जगदंबा प्रसाद सिंह की मौजूदगी में परिजनों को पार्थिव शरीर सुपुर्द किया गया। सुबह पौने आठ बजे पुलिस और सीआरपीएफ के जवानों ने अपने-अपने तरीके से बारी-बारी से गार्ड ऑफ ऑनर दिया। इसके बाद अधिकारियों के अलावा शहीद के परिवारीजन और विधायक जगदीश सोनकर, पूर्व सांसद तूफानी सरोज, भाजपा जिलाध्यक्ष सुशील उपाध्याय, सांसद मछलीशहर के प्रतिनिधि राजेश सिंह आदि ने पुष्प अर्पित किया। सुबह आठ बजकर 27 मिनट पर अंतिम संस्कार के लिए उनकी यात्रा निकाली। वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार किया गया। शहीद के आठ वर्षीय पुत्र अमन ने मुखाग्नि दी। शहीद के बड़े भाई सुरेश बिंद ने जिलाधिकारी से मांग किया कि शहीद के नाम से गांव का नामकरण किया जाए।