पुराने मुकदमों के साक्ष्य जुटाना पुलिस के लिए मुश्किल काम
गनीमत रही कि आपराधिक मुकदमों संबंधी दस्तावेजों व असलहों को पहुंच रहे नुकसान को देखते हुए जिला प्रशासन ने करीब आठ साल पहले ही मालखाना नए भवन में स्थानांतरित कर दिया था। फिर भी पुराने जर्जर भवन में उस समय रखे गए दस्तावेजों को पहुंची क्षति के कारण तमाम मुकदमों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। ऐसे में पुलिस के लिए साक्ष्य प्रस्तुत करना कठिन हो गया है।
जागरण संवाददाता, जौनपुर : गनीमत रही कि आपराधिक मुकदमों संबंधी दस्तावेजों व असलहों को पहुंच रहे नुकसान को देखते हुए जिला प्रशासन ने करीब आठ साल पहले ही मालखाना नए भवन में स्थानांतरित कर दिया था। फिर भी पुराने जर्जर भवन में उस समय रखे गए दस्तावेजों को पहुंची क्षति के कारण तमाम मुकदमों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। ऐसे में पुलिस के लिए साक्ष्य प्रस्तुत करना कठिन हो गया है।
साक्ष्य और गवाही के आधार पर ही किसी भी आपराधिक मामले में न्यायालय आरोपित को दोषसिद्ध पाए जाने पर सजा सुनाता है। पुलिस साक्ष्यों को मालखाने में रखती है और समय पर अदालत में पेश करती है। आठ साल पहले तक मालखाना के रूप में अंग्रेजों के जमाने में बने खपरैल के बड़े कमरे को इस्तेमाल किया जाता रहा। उसकी छत टपक रही थी। चूहों की भरमार थी। ऐसे में उस समय के तमाम मुकदमों से संबंधित साक्ष्य क्षतिग्रस्त हो गए थे।
इसको देखते हुए मालखाना कलेक्ट्रेट परिसर में ही नए बने भवन में स्थानांतरित कर दिया गया था। तब से रख-रखाव संबंधी कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन पुराने मालखाने में रखे जाने के दौरान तमाम मुकदमों से संबंधित साक्ष्य क्षतिग्रस्त हो गए थे। सूत्रों के मुताबिक उनसे संबंधित मुकदमों में अदालत की ओर से तलब किए जाने पर संबंधित पुलिस कर्मियों को उन्हें प्रस्तुत करना बड़ा मुश्किल हो जाता है। इसके चलते कई मुकदमों का निस्तारण नहीं हो पा रहा है। जिम्मेदार भी कुछ बताने से कतरा रहे हैं।