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खुफिया विभाग ने केंद्र को भेजी राहत इंदौरी के कार्यक्रम की रिपोर्ट

सीएए और एनआरसी को लेकर पूर्व में दिल्ली सहित अन्य स्थानों पर हुए उपद्रव व प्रदर्शनों से जुड़े तार जौनपुर में तलाश रहे खुफिया विभाग को एक के बाद एक संदिग्ध गतिविधियां मिलती जा रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Thu, 12 Mar 2020 05:27 PM (IST)Updated: Thu, 12 Mar 2020 05:27 PM (IST)
खुफिया विभाग ने केंद्र को भेजी राहत इंदौरी के कार्यक्रम की रिपोर्ट

जागरण संवाददाता, जौनपुर: सीएए और एनआरसी को लेकर पूर्व में दिल्ली सहित अन्य स्थानों पर हुए उपद्रव व प्रदर्शनों से जुड़े तार जौनपुर में तलाश रहे खुफिया विभाग को एक के बाद एक संदिग्ध गतिविधियां मिलती जा रही हैं। विभाग की जांच अब मदरसों से लेकर उस दौरान हुए आयोजनों की तरफ मुड़ गयी है। इसी दौरान हुए भीम आर्मी की बंदी और एक कालेज में हुए मशहूर शायर राहत इंदौरी के कार्यक्रम की रिपोर्ट भी केंद्र सरकार को भेजी गयी है।

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नागरिकता संशोधन अधिनियम समेत अन्य मुद्दों पर चल रहा विरोध-प्रदर्शन लगभग खत्म हो गया है। अब खुफिया विभाग इसकी रिपोर्ट बनाने में जुट गया है। जिले में अब इससे जुड़े लोगों और आयोजनों की गतिविधियां परखी जा रही हैं। चाहे वह डा. राहत इंदौरी का कार्यक्रम हो या भीम आर्मी का भारत बंद आंदोलन। मदरसों ने कहां तक अपने आपको शिक्षण कार्य तक में सीमित रखा यह भी देखा जा रहा है। प्रदर्शन को हवा देने वालों की एक-एक रिपोर्ट यहां से बनाकर केंद्र सरकार को भेजी जा रही है। खुफिया विभाग के सूत्रों का कहना है कि कुछ आयोजनों की रिपोर्ट केंद्र सरकार के गृह विभाग को भेज दी गयी है कुछ और भेजी जानी है। कैसे मिली कार्यक्रम की इजाजत

उधर दिल्ली समेत देशभर में तेज हो रहे सीएए और एनआरसी को लेकर विरोध-प्रदर्शन से सरकार सशंकित थी तो इसी बीच 23 फरवरी को जिले के एक कालेज में मशहूर शायर डा. राहत इंदौरी का कार्यक्रम आयोजित हो गया। डा. इंदौरी मौजूदा सरकार पर अपनी रचनाओं के जरिये खूब चर्चा में छाये रहते हैं। इतना नहीं उनकी कुछ रचनाएं वर्ग विशेष के युवाओं में जोश भरने के लिए भी सोशल मीडिया पर खूब शेयर और लाइक की जाती हैं। ऐसे माहौल में जौनपुर में यह आयोजन हुआ। जब इसकी रिपोर्ट खुफिया विभाग ने केंद्र सरकार को भेज दी है। विभाग अब जांच में जुटा है कि आयोजन की अनुमति थी या नहीं। अनुमति दी भी गई तो किन परिस्थितियों में जबकि सरकार ऐसी सभी गतिविधियों को रोकने में दमखम लगा रही थी। विभाग उस आयोजन की पूरी वीडियो रिकार्डिंग सरकार को भेजी है। आंदोलन में मदरसे तो नहीं रहे शामिल

सीएए व एनआरसी से जुड़े आंदोलन में अल्पसंख्यक समुदाय ने जोर-शोर से हिस्सा लिया। इसमें जौनपुर के लोग भी जुड़े। अब केंद्र सरकार पूछ रही है कि आंदोलनों को हवा देने में सिर्फ सामाजिक और राजनीतिक संस्थान ही आगे रहीं या मदरसों ने भी किरदार निभाया। इसकी रिपोर्ट तैयार कर रहा खुफिया विभाग शुरुआती प्रदर्शन में मदरसों की गतिविधि का आंकलन कर रहा है। देखा जा रहा है कि क्या आंदोलन के समय मदरसे पढ़ाई में लगे थे या उनके किसी छात्र और शिक्षक ने भी भागीदारी निभाई। इसकी पूरी रिपोर्ट तैयार की जा रही है। रेलवे ने क्यों छोड़ा संदिग्ध व्यक्ति को

सीएए व एनआरसी को लेकर चल रहे प्रदर्शनों पर शासन-प्रशासन को व्यवस्था दुरुस्त रखने की चुनौती थी। वहीं करीब एक माह पूर्व शाहगंज रेलवे पुलिस ने एक संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में लिया था। तलाश ली गई तो उसके पास से संवेदनशील स्थानों और मंदिरों जैसे काशी विश्वनाथ मंदिर, आयोध्या, संगम स्थली आदि के स्क्रेच बरामद हुए। करीब छह घंटे पड़ताल और पूछताछ के बाद पुलिस ने उक्त संदिग्ध व्यक्ति को पागल करार देते हुए छोड़ दिया। इसकी जानकारी जिम्मेदारों को मिली तो नाराजगी जाहिर की गई। खुफिया विभाग भी इस मामले में रिपोर्ट भेजा है कि आखिर इतने संवेदनशील मामले में रेलवे ने संदिग्ध व्यक्ति को किस आधार पर छोड़ दिया। भीम आर्मी के भारत बंद पर भी रिपोर्ट

नागरिकता संशोधन अधिनियम को लेकर भीम आर्मी ने भी 23 फरवरी को भारत बंद का एलान कर दिया। जौनपुर भीम आर्मी के कार्यकर्ता सड़क पर उतरे तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। इस आंदोलन की भी रिपोर्ट केंद्र सरकार ने मांगी है। इसकी जानकारी के लिए खुफिया विभाग सक्रिय हो गया है। हालांकि अपने उग्र तेवर को लेकर भीम आर्मी पर सरकार खास नजर बनाये हुए है।


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