प्रेशर हार्न व तेज साउंड से बढ़ा ध्वनि प्रदूषण
जागरण संवाददाता, जौनपुर : जिले में तेज लाउडस्पीकर से ध्वनि प्रदूषण बढ़ गया है। साउंड की ते
जागरण संवाददाता, जौनपुर : जिले में तेज लाउडस्पीकर से ध्वनि प्रदूषण बढ़ गया है। साउंड की तेज ध्वनि, वाहनों पर प्रेशर हार्न हो चाहे धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर। यह आम व्यक्ति के जनजीवन को प्रभावित कर रहा है। हाईकोर्ट के आदेश पर भले ही शासन जिलों में धार्मिक स्थलों व सार्वजनिक स्थानों पर बिना अनुमति अत्यधिक तेज आवाज में बजाए जाने वाले लाउडस्पीकरों पर तल्ख हो गया हो लेकिन पहले दिन जनपद में ऐसी कोई गतिविधि नहीं दिखाई पड़ रही है। सोमवार को जिले के आला अफसर कैबिनेट मंत्री रीता बहुगुणा जोशी को लेकर में व्यस्त रहे। ऐसे में जिला मुख्यालय समेत तहसील बाजार व कस्बों में पुराने ढर्रे पर ही साउंड की आवाज बजती रही। वहीं शासन की तरफ से जिला प्रशासन को 15 जनवरी तक बिना अनुमति लाउड स्पीकर बजाने वालों पर कार्रवाई करने का आदेश दिया है। जिला प्रशासन अधिकारियों के आदेश के इंतजार में तहसील व थाना पुलिस के अधिकारियों ने कार्रवाई पर चुप्पी साध रखी है।
ध्वनि प्रदूषण या अत्यधिक शोर किसी भी प्रकार के अनुपयोगी ध्वनियों को कहते हैं, जिससे मानव और जीव जंतुओं को काफी परेशानी होती है। इसमें यातायात के दौरान उत्पन्न होने वाला शोर मुख्य कारण हैं। इसको लेकर जनसंख्या और विकास के साथ ही यातायात व वाहनों की संख्या में भी वृद्धि होती हैं, जिसके कारण यातायात के दौरान होने वाला ध्वनि प्रदूषण भी बढ़ने लगता है। अत्यधिक शोर से व्यक्ति के सुनने की शक्ति भी चले जाने का खतरा होता है। जिले में अधिकतर जनरेटर बिना कैनोपी के चलाए जा रहे हैं, जिससे ध्वनि प्रदूषण अधिक होता है। जनरेटर को प्रमुख बाजार में भी सड़क पर लगा दिया जाता है, इससे उस मार्ग से गुजरने पर लोगों के चेहरे पर धुंआ चिपक जाता है। स्कूलों, अस्पतालों आदि प्रतिबंधित स्थलों के आस-पास नो साउंड व हार्न जोन का बोर्ड भी नहीं लगा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का कार्यालय न होने के कारण जिले में ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रण करने की विशेष पहल नहीं हो पा रही है। हालांकि यातायात पुलिस की तरफ से ध्वनि प्रदूषण, वायु प्रदूषण को देखते हुए यातायात माह में 765 वाहनों का चालान किया गया। इसमें 72 हजार का शमन शुल्क वसूला गया।
इनसेट:-
केस स्टडी वन-:-लाइन बाजार थाना के रामदयालगंज बाजार निवासी अमित जायसवाल ने कहा कि उनके बगल में एक मंदिर है जहां पर सुबह चार बजे से ही साउंड चला दिया जाता हैं। इससे पूरे बाजार में लोगों की नींद खराब होती है। श्रद्धा के कारण कोई इसके खिलाफ बोलने की जहमत नहीं उठाता है। हाईकोर्ट के आदेश के बाद निश्चित ही कोई ठोस कदम उठाया जाएगा।
क्या है नियम :-प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार ध्वनि यंत्र बजाने के लिए सायं सात से रात 10 बजे तक का समय निर्धारित है। इसमें भी डीजे की बजाय दो साउंड बाक्स का उपयोग होना चाहिए। ध्वनि विस्तारक यंत्रों की ध्वनि दिन में 55 व रात में 45 डेसीबेल से अधिक नहीं होनी चाहिए। रात 10 से सुबह छह बजे तक यंत्र का उपयोग पूरी तरह प्रतिबंधित है। इसी तरह हॉस्टल, सरकारी दफ्तर, बैंक, कोर्ट से 200 मीटर की परिधि में ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग करने से पहले अनुमति जरूरी है। इन नियमों की कतई पालन नहीं किया जा रहा है।
जिला प्रशासन नहीं करता पालन :-मोहम्मद हसन डिग्री कालेज के भौतिक विज्ञान विभाग में शिक्षक आशुतोष त्रिपाठी ने कहा कि भारत सरकार द्वारा पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 एवं इससे संबंधित नियमावली के तहत ध्वनि प्रदूषण नियम 2000 बनाया गया है। जिसमें अस्पतालों, शैक्षिक संस्थाओं और न्यायालयों के आस-पास कम से कम 100 मीटर तक के क्षेत्र को शांत क्षेत्र, परिक्षेत्र घोषित किया जाए। अधिनियम के कार्यान्वयन के लिए प्रत्येक जिले में एक उड़नदस्ते का गठन किया जाए लेकिन जनपद में ऐसा नहीं हो पा रहा है।