पर्यटन की अपार संभावनाएं
आदि गंगा गोमती के पावन तट पर बसी शिराजे ¨हद की नगरी का देश के इतिहास में विशिष्ट स्थान
आदि गंगा गोमती के पावन तट पर बसी शिराजे ¨हद की नगरी का देश के इतिहास में विशिष्ट स्थान है। अति प्राचीन काल से इसका आध्यात्मिक व्यक्तित्व और मध्य काल में सर्वांगीण उन्नतिशील स्वरूप समक्ष आता है, यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं।
शर्की काल में यह समृद्धिशाली राजवंश के हाथों सजाया गया। राजनीतिक, प्रशासनिक, सांस्कृतिक, कलात्मक और शैक्षिक दृष्टियों से जौनपुर की शान बेमिसाल थी। ऋषियों, मुनियों ने तपस्या द्वारा इस भूमि को तपोस्थली बनाया। एक समय आया जब यहां ¨हदू, मुस्लिम एकता की गंगा-जमुनी संस्कृति गतिशील हुई। यह शिक्षा का बहुत बड़ा केंद्र रहा है। ईराक, अरब, मिश्र, अफगानिस्तान, हेरात, बदख्शं आदि देशों के छात्र विद्या प्राप्त करने आते थे। इसे भारत वर्ष का मध्य युगीन पेरिस तक कहा गया है। इसे शीराज-ए-¨हद होने का गौरव प्राप्त हुआ। ¨हदी, उर्दू, अरबी, फारसी और संस्कृत भाषाओं में यहां के कवियों और लेखकों ने प्रभूत साहित्य लिखा। यहां की सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक एकता चारों ओर विख्यात है। अंग्रेजी राज्य से स्वतंत्रता के लिए यहां के लोगों ने जो प्राणों की आहुति दी है उनके बलिदान की कहानी आज भी ¨जदा है।
शिक्षा संपूर्ण व्यक्तित्व का निर्माण करती है। कहते हैं 'तालीम का असर है ऊंचा हमारा सर है'। तालीम का केंद्र होने के बावजूद जनपद की जो परिकल्पना थी वह साकार नहीं हुई। जनपद की साक्षरता बहुत कम है। आज जौनपुर एक सामान्य जनपद के रूप में जाना जाता है जबकि इसे ¨हदू, मुस्लिम और बौद्ध तीनों धर्मों की शिक्षा का केंद्र होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। मुगल सम्राट शाहजहां के समय तक इसकी शैक्षिक ख्याति चारों ओर फैली हुई थी। आजादी के बाद जनपद में शिक्षा पर उतना ध्यान नहीं दिया गया अन्यथा आज भी जनपद देश में शिक्षा के केंद्र रहता। आज शिक्षा में नैतिक मूल्यों तथा व्यक्तित्व को परिष्कृत करने वाले तत्वों की कमी के कारण शिक्षा जीवन निर्माण नहीं वरन मात्र जीवन यापन का माध्यम बनकर रह गई। बाल विवाह, दहेज, भ्रूण हत्या, लैंगिक भेदभाव, नशाखोरी, धूम्रपान, जातिवाद जैसी बुराइयां इस जनपद में नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह सब अज्ञानता, कुसंस्कार का द्योतक है। सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, राजनीतिक एवं तकनीकी तरक्की में भी जनपद को सुदृढ़ होना चाहिए। जौनपुर एक ऐतिहासिक शहर है। यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। जिले की शान एवं जान और जीवनदायिनी गोमती, सई, बसुई, पीली, वरुणा नदियों को अविरल एवं स्वच्छ करे की जरुरत है। बुद्धिजीवियों को जातिवाद, भ्रष्टाचार, असहिष्णुता, गरीबी, अज्ञानता, अशिक्षा, अनियंत्रित जनसंख्या, भ्रूण हत्या, यौन शोषण, दहेज, घरेलू ¨हसा, बाल विवाह जैसी जटिल व शर्मनाक समस्याओं को खत्म करने के लिए आवाज बुलंद करें। जनपद का भविष्य आज की पीढ़ी को उचित मार्ग दर्शन प्रदान कर नैतिक मूल्यों के गिरावट से बचाया जाए। अंत में-'जौनपुर भूमि के नवपथिक नूतन जीवन भर दो। तोड़ दो अतीत की वो दीवारें क्लेश जिनसे मिले, बदले हुए अंजाद में इतिहास नया रच दो।'
डा. दिनेश प्रताप ¨सह
प्रधानाचार्य
तिलक कान्वेंट स्कूल