आर्थिक स्थिति सुधारने का सशक्त माध्यम है बागवानी
खेती-किसानी पूर्वांचल की मंडियों में मशहूर है श्रीराम ¨सह का आंवला व नीबू पेड़ों के नीचे सब्जी व मसाले की खेती से होता है अच्छा लाभ जागरण संवाददाता, बदलापुर (जौनपुर): खेती-किसानी घाटे का सौदा नहीं है बस इसमें जरूरत है कड़ी मेहनत व लगन की।कम्मरपुर निवासी श्रीराम ¨सह खेती में बागवानी का चयन कर अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारते हुए दूसरों के लिए प्रेरणास्त्रोत बने हुए हैं। उनकी बागवानी को देखने अच्छे-अच्छे किसान आते हैं और टिप्स लेकर अत्याधुनिक खेती करते हैं।
जागरण संवाददाता, बदलापुर (जौनपुर): खेती-किसानी घाटे का सौदा नहीं है बस इसमें जरूरत है कड़ी मेहनत व लगन की। कम्मरपुर निवासी श्रीराम ¨सह खेती में बागवानी का चयन कर अपनी आर्थिक स्थिति को सुधारते हुए दूसरों के लिए प्रेरणास्त्रोत बने हुए हैं। उनकी बागवानी को देखने अच्छे-अच्छे किसान आते हैं और टिप्स लेकर अत्याधुनिक खेती करते हैं।
श्री ¨सह ने 35 वर्ष पूर्व 1985 में बागवानी करने का मन बनाया किन्तु उस समय सभी किसान पारंपरिक खेती पर निर्भर थे। उन्होंने पहले एक पेड़ नीबू से बागवानी की शुरुआत किया जहां अपने उपयोग के अलावा भी थोड़ा बहुत लाभ हुआ। फिर क्या था उनका हौसला बुलंद हुआ तो अगले साल बागवानी को बढ़ाना शुरू किया, जहां उन्हें अच्छा लाभ मिला। अब उनके मन से पारंपरिक खेती का भूत उतर गया और अपने 12 एकड़ भूमि में आंवला, नीबू, आम, आमड़ा आदि की बागवानी लगा चारों तरफ से करौंदे का पौधा लगवा दिया। धीरे-धीरे पेड़ तैयार हो गए और फल देने लगे। आज यह स्थिति है कि पूर्वांचल की मंडियों में उनका आंवला, नीबू, करौंदा मशहूर है। इनकी बागवानी देखने दूर-दूर से किसान व वैज्ञानिक आया करते हैं। खेती के बाबत पूछने पर श्री ¨सह ने बताया कि बागवानी आर्थिक स्थिति सुधारने का सशक्त माध्यम है। जहां पेड़ों के नीचे सब्जी व मसाले की खेती कर अच्छा लाभ कमाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इस वर्ष पेड़ों के नीचे हल्दी की खेती किया था। अच्छी पैदावार हुई है। लेकिन इसके लिए जरूरी है कड़ी मेहनत व लगन।