गो सेवा को ही बना लिया जीवन का मकसद
पशुपालन से लोग दूर होते जा रहे हैं। सड़कों व खेत-खलिहानों में बेसहारा पशुओं की बाढ़ है वहीं क्षेत्र का एक ऐसा शख्स है जो पिछले कई दशक से नि:स्वार्थ बेसहारा, आशक्त बेजुबानों की सेवा में लगा है।
जागरण संवाददाता, खुटहन (जौनपुर): पशुपालन से लोग दूर होते जा रहे हैं। सड़कों व खेत-खलिहानों में बेसहारा पशुओं की बाढ़ है वहीं क्षेत्र का एक ऐसा शख्स है जो पिछले कई दशक से नि:स्वार्थ बेसहारा, आशक्त बेजुबानों की सेवा में लगा है। हम बात कर रहे बदलापुर क्षेत्र के गोपालापुर गांव निवासी भुंडे तिवारी की जिन्होंने गो सेवा को ही जीवन का मकसद बना लिया है।
अवैध स्लाटर हाउस को बंद कराने के साथ ही गोवंशों के काटे जाने पर योगी सरकार ने सख्ती लगा दी है। परिणाम स्वरूप बेसहारा पशु किसानों व आम लोगों के लिए परेशानी का शबब बन गए हैं। सरकार के आदेश के बाद भी जहां प्रशासनिक अमला आश्रय की व्यवस्था करने में अक्षम साबित हो रहा है वहीं आह्वान के बाद भी पशुओं को भरण-पोषण में सामाजिक संगठनों के लोग व नागरिक आगे नहीं आ रहे हैं। ऐसे लोगों के लिए गोपालापुर गांव निवासी भंडे तिवारी प्रेरणास्त्रोत हैं। पैंसालिस वर्षीय श्री तिवारी अविवाहित रहते हुए गोसेवा में लगे हैं।
उन्होंने बताया कि करीब दो शक से गोसेवा को जीवन का मकसद बना लिया है। वह पशुपालों द्वारा छोड़े गए मवेशियों की सेवा में लगे हैं।
श्री तिवारी के लिए गो पालन जीवन का उद्देश्य बन गया है। उन्हें मलाल है कि सरकार द्वारा नि:शुल्क पशुशेड योजना की जो व्यवस्था की गई है। उसका लाभ नहीं दिया गया। यदि मिल गया होता तो गो माताएं खुले आसमान में पेडों के नीचे से पतरे की छत पा जाती।