जौनपुर में है गंगा-जमुनी तहजीब
जौनपुर का नामकरण वर्ष 1359 में मुहम्मद बीन तुगलक ने किया था। स्त्री-पुरुष का अनुपात यहां 100 प
जौनपुर का नामकरण वर्ष 1359 में मुहम्मद बीन तुगलक ने किया था। स्त्री-पुरुष का अनुपात यहां 100 पुरुष पर 1024 महिलाएं हैं। दो लोकसभा व नौ विधानसभा क्षेत्र हैं। शिक्षा का स्तर 82.83 फीसद है। जनपद गंगा-जमुनी तहजीब की मिसाल है। शहर अर्थात ¨हदू 63 फीसद व मुस्लिम की 33 फीसद आबादी, तथा अन्य का चार फीसद है। पांच नदियां गोमती, सई, वरुणा, पीली व बसुही यहां की जमीन को उपजाऊ बनाती हैं। जौनपुर रेल व सड़क मार्ग से महत्वपूर्ण जगहों को जोड़ता है, जिसमें जौनपुर सिटी, जौनपुर जंक्शन के साथ श्रीकृष्णनगर, शाहगंज, जंघई, केराकत, जफराबाद आदि है। शिक्षा के क्षेत्र में पूर्वांचल विश्वविद्यालय की स्थापना वर्ष 1987 में हुई। इससे जौनपुर, आजमगढ़, गाजीपुर, मऊ, इलाहाबाद में करीब 800 कालेज जुड़े हैं। शैक्षणिक दृष्टि से जौनपुर काफी पहले से अग्रणी रहा है। शेरशाह सूरी जैसे शासक की शिक्षा-दीक्षा यहां प्राचीन अटाला से हुई है। पूर्वांचल से जुड़े 12 जिलों में कालेजों की संख्या करीब 550 से अधिक हो गई तो आधे कालेजों को विद्यापीठ वाराणसी से जोड़ दिया गया।
शिराजे ¨हद जौनपुर का नाम जब भी लिया जाता है यहां की इमरती, मक्का, मूली की बात होने लगती हैं। यह भी कहा जाता है कि कभी कन्नौज एवं जौनपुर के इत्र की मांग बहुत थी। अब भी सैलानी या बाहर से आने वाले गणमान्य यहां की इमरती और इत्र जरूर ले जाते हैं। वह फक्र के साथ कहते हैं कि यह जौनपुर से लाया हूं। साथ ही लोगों ने कुछ गलत आदत भी डाल रखी है। जिसे समाप्त करने के लिए प्रशासन स्तर पर अभियान चलाना पड़ रहा है। छापेमारी करनी पड़ रही है। मुंबई के कैंसर अस्पताल में इस महामारी से ग्रसित लोगों में सर्वाधिक जौनपुर के लोग हैं। इस महामारी कैंसर का एकमात्र कारण 'दोहरा' है। जिसे खाकर लोग शान से यत्र-तत्र सर्वत्र मुंह से लेकर सड़क तक गंदगी फैलाने में गर्व की अनुभूति करते हैं। यह है जौनपुर का दोहरा। इसका एक लाभ यह जरूर है कि खाने वाले लोग कम बोलते हैं। जिस वजह से उनकी पहचान एक गंभीर व्यक्ति के रूप में होती है।
इसके अलावा भी इस शहर को बुद्धिजीवियों का शहर इस वजह से कहा जाता है क्योंकि यहां तमाम सामाजिक संस्थाएं कार्य कर रही हैं। इसमें श्री दुर्गा पूजा महासमिति, सछ्वावना समिति, गोमती स्वच्छता अभियान, जेब्रा सहित समस्त सामाजिक, धार्मिक, साहित्यिक संगठन कुछ न कुछ कार्य आयोजित करते रहते हैं।
जौनपुर के 75 सालों के राजनीतिक इतिहास की चर्चा की जाए तो भारतीय राजनीति में जनसंघ की स्थापना काल में जौनपुर का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। कभी पूरे भारत में चुनाव लड़कर किसी तरह दो-चार सदस्य दिल्ली के संसद तक पहुंचा करते थे तब राजा जौनपुर यादवेंद्र दत्त दुबे उत्तर प्रदेश विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता हुआ करते थे। चुनाव हारने के बावजूद भी लगातार स्व.हरिगो¨वद ¨सह गृहमंत्री उत्तर प्रदेश सरकार हुआ करते थे। कई ऐसे स्वतंत्रता सेनानी रहे जो सांसद, विधायक तो बने लेकिन आज उनका परिवार किसी तरह से अपना जीवन निर्वहन कर रहा है। एक समय ऐसा था जब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी, पूर्व गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी सहित दिग्गज नेता यहां आकर ठहरा करते थे। पं.दीनदयाल उपाध्याय जैसे लोग जौनपुर से चुनाव लड़े। औद्योगिक ²ष्टि से 1989 में शासन ने सतहरिया औद्योगिक क्षेत्र का विस्तार किया जो 508 एकड़ में फैला है।
डा.अखिलेश्वर शुक्ला-एसोसिएट प्रोफेसर-राजनीति विज्ञान-राज कालेज