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अभी और बदलाव की अपेक्षा

जौनपुर एक बहुत ही पुराना एवं ऐतिहासिक महत्व का शहर है। जिसका स्वतंत्रता संग्राम से लेकर

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Dec 2017 05:33 PM (IST)Updated: Sat, 16 Dec 2017 05:33 PM (IST)
अभी और बदलाव की अपेक्षा

जौनपुर एक बहुत ही पुराना एवं ऐतिहासिक महत्व का शहर है। जिसका स्वतंत्रता संग्राम से लेकर शिक्षा व प्रशासन के क्षेत्र में बहुत ही बड़ा योगदान रहा है। निश्चित रूप से जब हम स्वतंत्र हुए तब से आज तक में काफी सकारात्मक बदलाव हुआ लेकिन जो बदलाव आया वह अपेक्षित नहीं है। यद्यपि मैं स्वतंत्रता के बहुत बाद पैदा हुआ और पिछले 20 साल से जौनपुर शहर में रह रहा हूं, लेकिन इस बीच बहुत सरकार बनी, बिगड़ी, लोग आए गए लेकिन आमजन जहां था वहीं है। उनकी दशा एवं दिशा में कोई परिवर्तन नजर नहीं आ रहा है। मूलभूत आवश्यकताओं के साथ सबसे ज्यादा पतन अगर हुआ है तो वह हैं नैतिक मूल्यों का। हम बहुत ही संवेदनहीन होते जा रहे हैं जो कि अच्छा संकेत नहीं है। इससे भी दुखद यह है कि हम तमाम गलत बातों को व गलत कामों को स्वीकार करते जा रहे हैं। आज हमको संवेदनशील होने की जरूरत है। ऐसे तमाम लोग हैं जो गलत काम से, गलत बात से भौतिकता के इस युग में खुद को सर्वोपरि समझते हैं। दुखद यह है कि आज का युवा उनको अपना मॉडल मानता है, यह बहुत ही ¨चता का विषय है।

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आज के युवा को अच्छी शिक्षा, गुणवत्ता युक्त शिक्षा, अच्छा स्वास्थ्य, अच्छी कानून व्यवस्था, अच्छी सड़क, परिवहन सेवा एवं मानसिक स्थिरता व सुरक्षा की आवश्यकता है, जिससे वह और चीजों की ¨चता न करके केवल अच्छे समाज निर्माण में पूरी तन्मयता से योगदान दे सके। अपने जनपद में जनसंख्या एवं वाहनों को देखते हुए मुख्य सड़क कम से कम छह लेन व सहायक सड़क की चार लेन की आवश्यकता है। शिक्षण संस्थानों की संख्या बढ़ाने के साथ गुणवत्ता युक्त शिक्षा, रोजगार परक शिक्षा, स्वास्थ्य शिक्षा की आवश्यकता हैं। शिक्षण संस्थान पहले से हैं उनको मानक के अनुरूप और अधिक गुणवत्ता परक बनाने की आवश्यकता है। संसाधन प्रकृति द्वारा एवं अपने पूर्वजों द्वारा हमको विरासत में मिला है, इसको सहेजने एवं संवारने की जरूरत है। चाहे वह ऐतिहासिक धरोहर हो या प्राकृतिक जैसे कि हमारे जिले में मूली, खरबूजा, इत्र आदि का अपना विशेष स्थान है और यह करीब विलुप्त होती जा रही है। यह शोध का विषय है और बचाने के लिए उचित संस्थान की आवश्यकता है। हम युवाओं को उस सबकी अपेक्षा है जो महानगरों में होती है हम करना चाहते हैं, पाना चाहते है, हमारी खरीदारी क्षमता भी है लेकिन संसाधन नहीं हैं। हमारी सोच महानगरीय नहीं बन पा रही जिसको संसाधन देकर विकसित करने की आवश्यकता हैं।

डा.रजनीश ¨सह-एसोसिएट प्रोफेसर उद्यान विभाग-टीडी कालेज जौनपुर


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