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भर पेट खाएं, घर में कोई भूखा हो तो उसके लिए ले जाएं

नेकी कर दरिया में डाल यशस्वी दादा स्व. भगेलू राम सेठ व पिता स्व. रामजी सेठ से मिली इस सीख को आत्मसात कर शहर की प्रतिष्ठित सराफा प्रतिष्ठान गहना कोठी के अधिष्ठाता विवेक सेठ मोनू और उनके तीनों अनुज सुपोषण की जंग लड़ रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 07 Sep 2019 07:32 AM (IST)Updated: Sat, 07 Sep 2019 07:32 AM (IST)
भर पेट खाएं, घर में कोई भूखा हो तो उसके लिए ले जाएं
भर पेट खाएं, घर में कोई भूखा हो तो उसके लिए ले जाएं

रमेश सोनी, जौनपुर

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'नेकी कर, दरिया में डाल' यशस्वी दादा स्व. भगेलू राम सेठ व पिता स्व. रामजी सेठ से मिली इस सीख को आत्मसात कर शहर की प्रतिष्ठित सराफा प्रतिष्ठान 'गहना कोठी' के अधिष्ठाता विवेक सेठ मोनू और उनके तीनों अनुज सुपोषण की जंग लड़ रहे हैं। फिलवक्त हर रविवार को दो हजार गरीबों को भर पेट भोजन के रूप में पौष्टिक तहरी खिलाते हैं। इतना ही नहीं परिवार के अन्य भूखे सदस्यों के लिए घर भी भेजते हैं। कहते हैं ऐसा करने से उनका व्यवसाय लगातार फल-फूल रहा है। कारोबार और बढ़ने पर रोजाना 1200 से दो हजार गरीबों को भोजन कराने का सपना संजोए हुए हैं।

कई दशक पहले स्व. भगेलू राम सेठ ने कोतवाली चौराहा पर 'गहना कोठी' फर्म खोली थी। उनके तीन पुत्रों में सबसे छोटे रामजी सेठ ने अल्पायु में ही राजनीति व समाजसेवा में अपनी अलग पहचान बना लिया। ऐसे समाजसेवी को सन 1985 में दिनदहाड़े शहर के रुहट्टा इलाके में कातिलों ने जब गोली मारकर हमेशा के लिए छीन लिया था तो उनकी छह संतानों की उम्र महज एक साल से 11 वर्ष के मध्य रही। मां विमला देवी ने बच्चों को प्यार देने व सुसंस्कारित करने में कोई कसर नहीं रखी। इसी दौरान सबसे बड़े बेटे विकास को बीमारी ने असमय छीन लिया।

युवावस्था में कदम रखने पर दूसरे नंबर के पुत्र विवेक सेठ मोनू ने कोतवाली चौराहा पर अत्याधुनिक प्रतिष्ठान 'गहना कोठी भगेलू राम-रामजी सेठ' की आधारशिला रखी। तीनों छोटे भाई विनीत सेठ, विशाल सेठ और विपिन सेठ भी कंधे से कंधा मिलाकर कारोबार में जुट गए। दो-तीन साल में ही प्रतिष्ठान ग्राहकों के भरोसे का प्रतीक बन गया। दादा-पिता से रक्त में मिले समाजसेवा की सीख और मां विमला देवी की प्रेरणा से सन 2008 में पहली बार चारों भाइयों ने वार्षिक भंडारा किया। इसके बाद तो दिन दूना-रात चौगुना वाली तर्ज पर प्रतिष्ठान तरक्की की सीढि़यां चढ़ने लगा। तब विवेक सेठ मोनू व उनके छोटे भाइयों ने हर रविवार को गरीबों को पौष्टिक भोजन के रूप में अच्छे किस्म के चावल, दाल, ताजी सब्जियों व देशी घी युक्त 'तहरी' खिलाना शुरू किया। तब से यह सिलसिला अनवरत चला आ रहा है। भूखों व बेसहारों की दुआओं से एक और भव्य प्रतिष्ठान सद्भावना पुल रोड पर नखास में खुल गया। विनीत सेठ कहते हैं कभी इस पर आने वाले खर्च का हिसाब-किताब किया ही नहीं गया। उन्होंने कहा कारोबार और सफल होने पर रोजाना गरीबों को भोजन कराया जाएगा।


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