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घबराहट की दवाइयों के सेवन से बना रहता है खतरा

वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग द्वारा Þउन्नत मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य मनोचिकित्सा के क्षेत्र में नवीन प्रगतिÞ विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का शुक्रवार को समापन हुआ।

By JagranEdited By: Published: Sun, 31 May 2020 03:56 PM (IST)Updated: Sun, 31 May 2020 03:56 PM (IST)
घबराहट की दवाइयों के सेवन से बना रहता है खतरा
घबराहट की दवाइयों के सेवन से बना रहता है खतरा

जागरण संवाददाता, मल्हनी (जौनपुर): वीर बहादुर सिंह पूर्वांचल विश्वविद्यालय के व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग द्वारा उन्नत मनोवैज्ञानिक स्वास्थ्य: मनोचिकित्सा के क्षेत्र में नवीन प्रगति विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय वेबिनार का समापन हुआ। इस दौरान मनोवैज्ञानिक समस्याओं के समाधान की नवीन तकनीक पर चर्चा हुई। वक्ताओं ने कहा कि घबराहट की दवाइयों के सेवन से खतरा बना रहता है।

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मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय आगरा के वरिष्ठ नैदानिक मनोवैज्ञानिक डा.राकेश जैन द्वारा अंतरराष्ट्रीय वेबिनार के तीसरे दिन कॉग्निटिव ड्रिल थिरेपी पर अपना व्याख्यान दिया। सेमिनार में गौतम बुद्धा विश्वविद्यालय नोएडा के मनोविज्ञान एवं मानसिक स्वास्थ्य विभाग के डा.आनंद प्रताप सिंह ने न्यूरोफीडबैक थिरेपी के लाभों पर विस्तार से अपनी बात रखी। एमिटी विश्वविद्यालय दुबई की डा.अनुमेहा राय ने वर्तमान परिवेश में तनाव प्रबंधन की युक्तियों पर चर्चा की। संचालन सेमिनार संयोजक व्यावहारिक मनोविज्ञान विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर अन्नू त्यागी व ज्योत्सना गुलाटी ने किया। वेबिनार के आयोजन समिति में डा.मनोज मिश्र, प्रो.एपी सिंह, डा.मनोज पांडेय आदि शामिल थे।


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