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राजकीय पशु चिकित्सालय में बैठने से डरते हैं डॉक्टर

करियांव मीरगंज बाजार में बना राजकीय पशु चिकित्सालय खुद बीमार हो गया है। जर्जर भवन व टूटी दीवार से इसमें डॉक्टर भी बैठने से डरते हैं। चारों तरफ गंदगी व झाड़ियों से पशुपालक भी परेशान हैं। यहां वर्ष 2000 में राजकीय पशु चिकित्सालय का निर्माण किया गया था। शुरुआती दौर में तो पशुपालक किसानों को इसका भरपूर फायदा मिला लेकिन उपेक्षा की वजह से अस्पताल परिसर खंडहर में तब्दील हो गया। मौजूदा समय में हालात यह है कि डॉक्टर के आवासों का वर्षों से ताला ही नहीं खुला।

By JagranEdited By: Published: Wed, 12 Aug 2020 10:45 PM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2020 06:08 AM (IST)
राजकीय पशु चिकित्सालय में बैठने से डरते हैं डॉक्टर
राजकीय पशु चिकित्सालय में बैठने से डरते हैं डॉक्टर

मीरगंज (जौनपुर): करियांव मीरगंज बाजार में बना राजकीय पशु चिकित्सालय खुद बीमार हो गया है। जर्जर भवन व टूटी दीवार से इसमें डॉक्टर भी बैठने से डरते हैं। चारों तरफ गंदगी व झाड़ियों से पशुपालक भी परेशान हैं। यहां वर्ष 2000 में राजकीय पशु चिकित्सालय का निर्माण किया गया था। शुरुआती दौर में तो पशुपालक किसानों को इसका भरपूर फायदा मिला, लेकिन उपेक्षा की वजह से अस्पताल परिसर खंडहर में तब्दील हो गया। मौजूदा समय में हालात यह है कि डॉक्टर के आवासों का वर्षों से ताला ही नहीं खुला। पशु अस्पताल में उपकरणों का भी अभाव है। अस्पताल में तैनात फार्मासिस्ट अपने तरीके से बीमार पशुओं का इलाज करते हैं। सभापति, लालजी, उमाकांत, कमला प्रसाद सहित अन्य पशु पालकों का कहना है कि सुविधाओं के अभाव में कीमती पशुओं का इलाज नहीं हो पा रहा है। पूर्व मंडल अध्यक्ष कृष्णकांत दुबे ने पशुपालन मंत्री को पत्र भेजकर अस्पताल के मरम्मत कराने की मांग की गई थी, लेकिन कुछ नहीं हुआ।

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