Move to Jagran APP

तीन सगे भाइयों की एक साथ जली चिताएं

इसी को ही कहते हैं प्रकृति की क्रूर लीला। केराकत कोतवाली क्षेत्र के मई गांव का माहौल तो शुक्रवार की शाम उसी समय से गमगीन था जब तीन सगे भाइयों की हादसे में मौत की मनहूस खबर आई थी लेकिन शनिवार की सुबह तीनों की एक साथ शवयात्रा निकली तो मजबूत कलेजे वालों की भी आंखों से आंसू टपकने लगे। गांव के अधिकतर घरों में चूल्हे नहीं जले।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Feb 2020 07:31 PM (IST)Updated: Sun, 23 Feb 2020 06:05 AM (IST)
तीन सगे भाइयों की एक साथ जली चिताएं

जागरण संवाददाता, थानागद्दी (जौनपुर): इसी को ही कहते हैं प्रकृति की क्रूर लीला। केराकत कोतवाली क्षेत्र के मई गांव का माहौल तो शुक्रवार की शाम उसी समय से गमगीन था जब तीन सगे भाइयों की हादसे में मौत की मनहूस खबर आई थी, लेकिन शनिवार की सुबह तीनों की एक साथ शवयात्रा निकली तो मजबूत कलेजे वालों की भी आंखों से आंसू टपकने लगे। गांव के अधिकतर घरों में चूल्हे नहीं जले।

loksabha election banner

मई गांव के टुटवा पुरवा निवासी बाबूलाल राम फायर ब्रिगेड अकबरपुर में दारोगा के पद पर तैनात हैं। उनकी आठ संतानों में चार पुत्र व चार पुत्रियों में सबसे बड़े बेटे राजेंद्र (35) तीसरे नंबर के मुकेश (24) व सबसे छोटे आशीष (17) की हादसे में मौत हो गई। दूसरे नंबर के पुत्र राकेश (28) हैं। राजेंद्र की शादी हो चुकी थी। अन्य अभी पढ़ाई कर रहे हैं। पुत्रियों में दो रीमा व अनीता की शादी हो चुकी है जबकि चंचल व रागिनी के अभी हाथ पीले होने हैं।

सुबह पोस्टमार्टम के बाद तीनों भाइयों के शव घर लाए गए तो मां बदामा देवी धाड़ें मारकर रोते हुए बेसुध हो गई। चारों बहनों को शवों से लिपटकर रोते देख किसी का कलेजा फट गया। आशीष को हाईस्कूल की परीक्षा दिलाने बाइक से राजेंद्र प्रसाद व मुकेश लेकर गाजीपुर जा रहे थे। चंदवक-गाजीपुर मार्ग पर पतरहीं बाजार में पेट्रोल पंप के पास बेकाबू स्कार्पियो ने तीनों को रौंद दिया। राजेंद्र व आशीष गौतम की मौके पर ही मौत हो गई जबकि बुरी तरह से घायल मुकेश ने सीएचसी बीरीबारी से रेफर किए जाने पर बीएचयू ट्रामा सेंटर पहुंचते ही दम तोड़ दिया। बेटों की मौत की मनहूस खबर मिलने पर रात में ही घर आ गए बाबूलाल की आंखों से आंसुओं का सैलाब थमने का नाम नहीं ले रहा था। रो-बिलख रहे स्वजनों को ढांढ़स बंधाने में सगे-संबंधियों की भी आंखों से आंसू लजरने लगते थे। गांव में ही गोमती नदी किनारे घाट पर एक साथ तीनों भाइयों की चिता लगाई गई। बाबू लाल ने मुखाग्नि दी तो श्मशान पर मौजूद हर किसी का कलेजा फट गया।

मासूम बच्चों के सिर से छिना पिता का साया

राजेंद्र की मौत से पूनम का सुहाग उजड़ गया। दो मासूम बच्चों पीहू (5) व अथर्व कुमार (3) के सिर से पिता का साया हमेशा के लिए छिन गया। धाड़ें मारकर रो रही पूनम को समझ नहीं आ रहा है कि बाकी पहाड़ सरीखी जिदगी किसके सहारे कटेगी। कैसे बच्चों का पालन-पोषण होगा और कैसे उनका भविष्य संवरेगा।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.