कोरोना काल में बदली दिनचर्या, तेजी से बढ़ रहीं मानसिक बीमारियां
दैनिक जागरण के कार्यक्रम हैलो डाक्टर में बुधवार को मेहमान रहे मनोचिकित्सक डा. हरिनाथ यादव। इनसे पाठकों ने न सिर्फ मानसिक बीमारियों से निजात के सवाल पूछे बल्कि अनिद्रा अवसाद आत्महत्या भूलने की बीमारी आदि से संबंधित प्रश्नों की झड़ी लगा दी। डा. यादव ने संजीदगी से उनकी समस्याओं को सुनकर परामर्श दिया।
दैनिक जागरण के कार्यक्रम हैलो डाक्टर में बुधवार को मेहमान रहे मनोचिकित्सक डा. हरिनाथ यादव। इनसे पाठकों ने न सिर्फ मानसिक बीमारियों से निजात के सवाल पूछे बल्कि अनिद्रा, अवसाद, आत्महत्या, भूलने की बीमारी आदि से संबंधित प्रश्नों की झड़ी लगा दी। डा. यादव ने संजीदगी से उनकी समस्याओं को सुनकर परामर्श दिया। बताया कि वैश्विक महामारी कोरोना के चलते लोगों की दिनचर्या बदल गई है, परिणामस्वरूप मानसिक बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। अस्पताल आने वाले 20 से 25 फीसद मनोरोगियों में बीमारी का कारण कोरोना बन रहा है। प्रस्तुत हैं प्रमुख सवाल व उनके जवाब..।
सवाल : कोरोना के कारण कैसे लोग मानसिक रोग का शिकार हो रहे, बचाव के क्या उपाय हैं।
जवाब : कोरोना महामारी ने न सिर्फ हमारे फेफड़ों को शिकार बनाया है, बल्कि हमारे तंत्रिका तंत्र को भी प्रभावित कर रहा है। अधिकांश लोग जिनको यह बीमारी अभी नहीं हुई है उनके मन में डर है कि उन्हें कोरोना न हो जाए, कहीं भी जाने का डर, किसी चीज को छूने का डर इतना अधिक हो गया है कि यह मानसिक बीमारी का रूप लेने लगा है। इसके अलावा व्यवसाय प्रभावित होने, अपनों को खोने के डर को लेकर घबराहट हर समय होने लगी और जीवन को प्रभावित करने पर मानसिक बीमारी बन जाती है। इससे हमें बचना होगा।
सवाल : मेरी 12 साल की बेटी को मिर्गी आती है। क्या इलाज है इसका।
जवाब : मिर्गी लाइलाज बीमारी नहीं है। उपचार कराने पर सौ फीसद ठीक हो जाती है। मस्तिष्क में गांठ, कीड़ी, दिमाग की नसों की कमजोरी आदि जांच कराकर ढाई से तीन साल तक उपचार कराना होगा।
सवाल : मेरी पत्नी को चार साल से माइग्रेन की समस्या है। इसका क्या इलाज है।
जवाब : माइग्रेन की समस्या लगभग 90 फीसद लोगों में होती है। यह कई प्रकार की होती है। प्राथमिक माइग्रेन में सिर के एक साइड में तेज दर्द, चक्कर, उल्टी, मिचली आना, आंखों से कम दिखना, पानी आना आदि लक्षण हैं। यह चार से 72 घंटे तक रह सकता है। सेकेंड्री माइग्रेन में चिता, सिर में भारीपन, नींद न आना आदि है, जबकि क्लस्टर हेडक में अचानक सिर में क्षणिक तेज दर्द, सुई जैसा चुभना, आंख लाल होना आदि है। इसके लिए धूप से बचें, अत्यधिक शोर-गुल में न रहें, खाली पेट न रहें, ठंड व गर्म पदार्थों के सेवन से बचें।
सवाल : अवसाद के प्रारंभिक लक्षण क्या हैं, इससे कैसे बचा जा सकता है।
ज्रवाब : भागमभाग की जिदगी, अनियमित दिनचर्या के कारण हर पांचवां व्यक्ति अवसाद से ग्रसित है। पीड़ित 10.6 प्रति लाख आत्महत्या कर ले रहे हैं। यह देश की सबसे बड़ी क्षति है। नींद न आना, भूल न लगना, घबराहट, चिड़चिड़ापन, अकेलापन आदि अवसाद के प्रमुख लक्षण हैं। ऐसे व्यक्ति को तुरंत मनोचिकित्सक से परामर्श लेकर उपचार आवश्यक होता है।
सवाल : मेरा भाई इंटरमीडिएट में पढ़ता है। पढ़ाई को लेकर वह हमेशा तनाव में रहता है। इससे उसे कैसे मुक्ति मिलेगी।
जवाब : शारीरिक, मानसिक व सामाजिक तीनों परिवेश तनाव के प्रमुख कारक होते हैं। समय रहते ध्यान न देने पर यह घातक साबित होता है। ऐसी स्थिति में मनोचिकित्सक से काउंसिलिग के साथ दवा आवश्यक है।
सवाल : एग्जाम फोबिया के लक्षण क्या हैं, उससे कैसे बचा जा सकता है।
जवाब : तनाव, नींद न आना, घबराहट, भय, व्यवहार में परिवर्तन, उदासी, पढ़ाई में मन न लगना, बार-बार पढ़ने के बाद भी याद न आना आदि एग्जाम फोबिया के प्रमुख लक्षण हैं। इससे बचाने के लिए बच्चों के अंदर डर न पनपने दें। जिस विषय में उसे परेशानी हो रही हो विशेषज्ञ शिक्षक से संबंधित विषय में परामर्श लें। छात्रों को चाहिए कि तनावमुक्त होकर टाइमटेबल बनाकर टू द प्वाइंट तैयारी शुरू करें। लगातार पढ़ाई करने की बजाए थोड़ी-थोड़ी देर पर ब्रेक लें। कम से कम सात घंटे नींद आवश्यक होती है। इसके अलावा संतुलित आहार व मनोरंजन भी करते रहें। इन लोगों ने पूछे सवाल :-
बादल चक्रवर्ती सुक्खूपुर, विनय कुमार गुप्त सरायबीका, राजेश तिवारी बदलापुर, रेनू सिंह रीठी, गौरव सिंह सिरकोनी, डाक्टर रमाकांत सिंह मछलीगांव, चंदन जायसवाल पिलकिछा, विकास यादव आजमगढ़, शैलेष केराकत, विनोद दुबे पट्टीनरेंद्रपुर, हिमांशु गुप्त सिकरारा आदि।