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भुवनेश्वर महादेव मंदिर बेलवाई की महिमा अपार

जौनपुर, आजमगढ़, अंबेडकर नगर, सुल्तानपुर जनपद सीमा पर स्थित भुवनेश्वर महादेव बेलवाई मंदिर शिव भक्तों के अटूट आस्था के लिए विख्यात है। यूं तो इस धाम में बारह महीने शनिवार और सोमवार को श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। सावन के महीने में व शिवरात्रि पर यहां श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ता है। सावन के महीने में बाबा धाम जाने वाले कांवरिया इसी मंदिर से बाबा धाम जाने की शुरुआत करते हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 Aug 2018 05:11 PM (IST)Updated: Sat, 18 Aug 2018 10:43 PM (IST)
भुवनेश्वर महादेव मंदिर बेलवाई की महिमा अपार

जौनपुर, आजमगढ़, अंबेडकर नगर, सुल्तानपुर जनपद सीमा पर स्थित भुवनेश्वर महादेव बेलवाई मंदिर शिव भक्तों के अटूट आस्था के लिए विख्यात है। यूं तो इस धाम में बारह महीने शनिवार और सोमवार को श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। सावन के महीने में व शिवरात्रि पर यहां श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ता है। सावन के महीने में बाबा धाम जाने वाले कांवरिया इसी मंदिर से बाबा धाम जाने की शुरुआत करते हैं।

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इतिहास:-

मंदिर की ऐतिहासिकता आठवीं सदी तक जाती है। मान्यता के मुताबिक जिस समय मंदिर की स्थापना हुई देश में ब्रिटिश हुकूमत थी तथा लॉर्ड विलियम बेंटिक गवर्नर जनरल था। इस आधार पर प्राचीन मंदिर लगभग 300 वर्ष पुराना है। हालांकि इसकी स्थापना के पीछे तमाम कहानियां प्रचलित है। पहली कथा के मुताबिक जिस स्थान पर मंदिर स्थित है चार पांच सौ वर्ष पूर्व यहां आम की बहुत बड़ी बाग थी। बाद के स्वामित्व को लेकर सुल्तानपुर तथा गैरवाह जौनपुर गांव के बीच विवाद था। विवाद में बेलवाई निवासी एक ब्राहमण की मौत हो गई। गुस्से में ग्रामीणों ने उसी स्थान पर चिता सजा दी तथा उसकी पत्नी सती होने के लिए चिता पर बैठी।

बताया जाता है कि तमाम प्रयासों के बावजूद चिता में आग नहीं पकड़ रही थी। जब सब थक गए तो उक्त महिला ने बताया कि यहां जमीन के नीचे किसी देवता का वास है। यहां चिता नहीं जलेगी। इस सलाह पर लोगों ने चिता थोड़ा हटा दी और आश्चर्यजनक रूप से चिता में आग लग गई तथा महिला वहीं सती हो गई। इस घटना के बाद लोगों ने कौतूहलवश उक्त स्थल की खुदाई प्रारंभ की और नीचे मिट्टी में शिव¨लग मिला। काफी नीचे खोजने के बाद भी उक्त शिव¨लग का जब कोई ओर-छोर नहीं मिला तो लोगों ने उसी स्थान पर पूजन अर्चन प्रारंभ कर दिया। बाद में सरायमोहिद्दीनपुर निवासी बुद्धू सेठ ने वहां मंदिर बनवाया। हालांकि वर्तमान में प्राचीन मंदिर के स्थान पर नया भव्य मंदिर भक्तों द्वारा निर्मित करा दिया गया जबकि गर्भ आज भी वही पुराना है। खास बात यह है कि मंदिर परिसर में ही सती माता का चौरा भी स्थित है। लोग वहां भी पूजा अर्चन करते हैं। वर्तमान समय में मंदिर के अगल-बगल दर्जनों अन्य देवी देवताओं हनुमान जी, दुर्गा जी, लक्ष्मी नारायण, राधा- कृष्ण, माता काली का मंदिर स्थित है। मंदिर के बगल पक्का जलाशय है जिसमें भक्त स्नान आदि करते हैं।

तैयारियां- भुवनेश्वर महादेव मंदिर बेलवाई मंदिर पर महाशिवरात्रि व सावन माह के सोमवार को हजारों की संख्या में श्रद्धालु जलाभिषेक करने के लिए आते हैं। शिव भक्तों की सुविधा के लिए साफ-सफाई, पेयजल, प्रकाश आदि की समुचित व्यवस्था है। भीड़ के मद्देनजर सुरक्षा व्यवस्था को देखते हुए पर्याप्त पुलिस की व्यवस्था जिला प्रशासन द्वारा की गई है। पर्व को लेकर पूरी तैयारी है।

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भुनेश्वर महादेव मंदिर का देख-रेख देव दीप मानव उत्थान सेवा समिति शिव धाम संस्था द्वारा की जाती है। समिति द्वारा भंडारे का आयोजन भी चलता रहता है। यह मंदिर लगभग 500 वर्ष पुराना है जिसका जिक्र गजेटियर ऑफ अवध पुरातन विभाग फैजाबाद में पृष्ठ संख्या 321 पर भी उल्लेखित है। इस विशाल प्रांगण में भगवान शिव के अलावा बजरंगबली, लक्ष्मीनारायण मंदिर, मां शीतला मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, भैरवनाथ, दुर्गा जी आदि मंदिर प्रांगण को सुशोभित कर रहे हैं।

दिलीप कुमार मोदनवाल सचिव

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भुवनेश्वर महादेव मंदिर बेलवाई में 21 पीढि़यों से हमारा परिवार भगवान भोले की सेवा व मंदिर का देखरेख करता चला आ रहा है। काशी- अयोध्या के बीच स्थित इस धाम के बारे में मान्यता है कि भगवान शिव ने राम कथा श्रवण हेतु अयोध्या जाते समय यहां विश्राम किए थे। इस मंदिर में शिव¨लग स्वत: प्रकट हुआ था। यहां सावन के माह में श्रद्धालुओं की काफी भीड़ रहती है। मंदिर में साफ-सफाई व शिवभक्तों की सुविधा का विशेष ध्यान रखा जाता है।

राम अनुग्रह गिरी

पुजारी


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