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अशुद्ध पानी से जीवन हो रहा बेपानी

फत्तूपुरकला गांव में एक कुनबा अजीबों-गरीब बीमारी का शिकार हो रहा है। शादी के बाद सामान्य रूप से स्वस्थ्य महिलाएं विकलांग हो जाती है तथा जन्म के बाद सामान्य रूप से स्वस्थ बच्चे विकलांग हो रहे है। परिवार में फैल रही बीमारी को देखकर चिकित्सक भी हैरान है। पांच परिवारों में 2

By JagranEdited By: Published: Tue, 20 Nov 2018 11:33 PM (IST)Updated: Tue, 20 Nov 2018 11:33 PM (IST)
अशुद्ध पानी से जीवन हो रहा बेपानी
अशुद्ध पानी से जीवन हो रहा बेपानी

जागरण संवाददाता, मुंगराबादशाहपुर (जौनपुर): फत्तूपुरकला गांव में एक कुनबा अजीबो-गरीब बीमारी का शिकार हो रहा है। शादी के बाद सामान्य रूप से स्वस्थ महिलाएं दिव्यांग हो जाती हैं तथा जन्म के बाद सामान्य रूप से स्वस्थ बच्चे भी प्रभावित हो रहे हैं। परिवार में फैल रही बीमारी को देखकर चिकित्सक भी हैरान है। पांच परिवारों में 28 सदस्यों में से नौ दिव्यांग है।

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गांव की एक बस्ती के पांच भाईयों के परिवार में दिव्यांग होने की बीमारी पांव पसार चुकी है। गांव के निवासी लालमनि, राम मूरत, राधेश्याम, स्वामीनाथ व रमेश सगे भाई हैं। जिनमें लालमनि की मौत हो चुकी है जबकि चार भाई पूरी तरह स्वस्थ है। राम मूरत व राधेश्याम ने बताया कि करीब 20 साल पूर्व सबसे पहले दिव्यांग होने की बीमारी भुगना देवी पत्नी लालमनि को हुई। जिस समय उसे बीमारी हुई वह दो बच्चों की मांग बन चुकी थी और पूरी तरह स्वस्थ थी। इसके हाथ, पैर टेढ़े हो गए। उसके दोनों बेटे राजेंद्र, सुरेंद्र जन्म के बाद पूरी तरह से स्वस्थ थे लेकिन पांच साल की आयु में उनके भी हाथ पैर टेढ़े हो गए। स्वामीनाथ की पत्नी प्रेमा देवी ससुराल आई तो पूरी तरह स्वस्थ थी लेकिन कुछ साल बाद उसके भी हाथ पैर टेढ़े हो गए। उसका पुत्र शिवपूजन व बेटी साधना दोनों दिव्यांग हैं, जो जन्म के समय पूरी तरह स्वस्थ थे। सुनील कुमार की विवाहिता लालती देवी पूरी तरह स्वस्थ थी लेकिन कुछ साल बाद उसके भी हाथ पैर टेढ़े होने लगे, इसका इलाज चल रहा है। राधेश्याम की बेटी रोशनी जन्म के समय सामान्य रूप से स्वस्थ थी लेकिन अब पूरी तरह से दिव्यांग हो चुकी हैं। हाथ पैर टेढ़े हो गए हैं और चल फिर नहीं पाती है। मेहनत मजदूरी करके भरण पोषण करने वाले पांचों परिवारों में दिव्यांग होने की बीमारी जड़ जमा चुकी है। जिसे देखकर विशेषज्ञ भी हैरान है कि यह बीमारी आनुवांशिक है अथवा खानपान के कारण हो रही है।

विशेषज्ञों ने पेयजल का नमूना लेकर परीक्षण हेतु भेजा है। आशंका जताई जा रही है कि अशुद्ध पेयजल के कारण परिवार में बीमारी पांव पसार रही है। किसी को नहीं मिल रही दिव्यांग पेंशन

इसे जिम्मेदारों की लापरवाही कहें या उदासीनता। कुनबे में कुल नौ दिव्यांग सदस्य हैं लेकिन किसी भी सदस्य को दिव्यांग पेंशन नहीं मिल रही है। इस संदर्भ में जब क्षेत्रीय समाज कल्याण अधिकारी हंसराज उपाध्याय ने बताया कि परिवार द्वारा आवेदन नहीं किया गया है, जिसके चलते पेंशन जारी नहीं की जा सकी। अशुद्ध खानपान भी हो सकता है एक कारण

डीन फैकेल्टी ऑफ आयुर्वेदी लखनऊ विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्त चिकित्सक डा.शिव कुमार मिश्रा ने बताया कि परिवार में दिव्यांग होने की बीमारी खानपान अशुद्धि के कारण हो रही होगी। खेसारी की दाल खाने वालों के हाथ पैर टेढ़े हो जाते हैं अथवा पेयजल अशुद्ध होने के कारण अनेक हानिकारक तत्व दिव्यांग होने का कारण बन सकते हैं। तीसरा कारण आनुवांशिक हो सकता है लेकिन इस परिवार में आनुवांशिक बीमारी होने की संभावना कम दिख रही है क्योंकि अधिकतर पुरुष सदस्यों में बीमारी नहीं है।


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