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धनुष टूटते ही जय श्रीराम के जयकारे से गूंज उठा पंडाल

रामलीला समिति हुसेनाबाद द्वारा गुरुवार की रात नारदमोह रामजन्म ताड़का वध धनुष यज्ञ और परशुराम -लक्ष्मण संवाद की कथा का मंचन किया गया। धनुष टूटते ही दर्शकों ने जय श्री राम के नारों से पांडाल को गुंजायमान कर दिया। उधर पण्डित जी रामलीला समिति के ऐतिहासिक राम लीला के 11 वें दिन टाउन हाल के मैदान पर बाली वध अशोक वाटिका लंका दहन का मंचन हुआ।

By JagranEdited By: Published: Fri, 04 Oct 2019 07:35 PM (IST)Updated: Fri, 04 Oct 2019 07:35 PM (IST)
धनुष टूटते ही जय श्रीराम के जयकारे से गूंज उठा पंडाल
धनुष टूटते ही जय श्रीराम के जयकारे से गूंज उठा पंडाल

जासं, जौनपुर: रामलीला समिति हुसेनाबाद द्वारा गुरुवार की रात नारद मोह, रामजन्म, ताड़का वध, धनुष यज्ञ और परशुराम-लक्ष्मण संवाद की कथा का मंचन किया गया। धनुष टूटते ही दर्शकों ने जय श्रीराम के जयकारों से पंडाल को गुंजायमान कर दिया। उधर पण्डितजी रामलीला समिति के ऐतिहासिक रामलीला के 11 वें दिन टाउन हाल के मैदान पर बाली वध, अशोक वाटिका, लंका दहन का मंचन हुआ।

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हुसेनाबाद मोहल्ले में रामलीला की शुरुआत नारद मोह के मंचन से हुई। इसके बाद रामजन्म का मंचन किया गया। यज्ञ को भंग करने आई ताड़का का भगवान राम और लक्ष्मण ने वध किया। ताड़का वध के बाद भगवान राम, लक्ष्मण और विश्वामित्र जनकपुरी पहुंचे। धनुष यज्ञ में कोई भी राजा, महाराजा धनुष तोड़ना तो दूर उसे हिला भी नहीं सका। गुरु की आज्ञा लेने के बाद भगवान श्रीराम ने जैसे ही धनुष तोड़ा वैसे ही रामलीला प्रांगण में बैठे दर्शकों ने तालियां बजाई और जय श्रीराम के नारे लगाए।

उधर टाउन हाल में बाहर से आए कलाकारों ने खूबसूरती से रामलीला का मंचन करते हुये लोगों को मंत्र-मुग्ध कर दिया। मंचन के दौरान सुग्रीव को उदास एवं परेशान देखकर भगवान श्रीराम ने कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि अपने भ्राता बालि के आतंक से वह छिपकर रह रहे हैं। उसके सामने जो भी जाता है, उसकी शक्ति क्षीण हो जाती है। इस पर भगवान श्रीराम ने पहचान स्वरूप सुग्रीव को विजय हार दिया और कहा कि इसके पहनने से पहचान के कारण बालि का वध संभव है। अत: तुम जाओ और बालि को युद्ध के लिए ललकारो। इस दौरान सुग्रीव व बालि में भीषण युद्ध हुआ जहां भगवान श्रीराम ने बालि का वध करके सुग्रीव को वहां का राजा बना दिया।


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