आरटीआइ को कमजोर करने वाला संशोधन विधेयक स्वीकार नहीं
आरटीआई कानून को कमजोर करने वाला संशोधन विधेयक के खिलाफ शुक्रवार को कलेक्ट्रेट में आरटीआई कार्यकर्ताओं ने धरना दिया। राष्ट्रपति को प्रेषित ज्ञापन प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा गया। इस दौरान मांगों को लेकर कार्यकर्ताओं ने अपनी आवाज बुलंद की।
जागरण संववाददाता, जौनपुर : आरटीआइ कानून को लेकर संशोधन विधेयक के खिलाफ शुक्रवार को कलेक्ट्रेट में आरटीआइ कार्यकर्ताओं ने धरना दिया। राष्ट्रपति को प्रेषित ज्ञापन प्रशासनिक अधिकारी को सौंपा गया। इस दौरान मांगों को लेकर कार्यकर्ताओं ने अपनी आवाज बुलंद की।
लोकतंत्र बचाओ अभियान के प्रदेश संयोजक निसार अहमद खान ने कहा कि केंद्र सरकार एक संशोधन विधेयक के जरिए सूचना आयोग की स्वतंत्रता और स्वायत्तता नियंत्रित करना चाह रही है। प्रस्तावित सूचना का अधिकार विधेयक 2018 के अनुसार केंद्रीय सूचना आयुक्तों और राज्य सूचना आयुक्तों का वेतन व उनके कार्यकाल को केंद्र सरकार द्वारा तय करने का प्रावधान रखा गया है। अभी तक मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त का वेतन मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्त के वेतन के बराबर मिलता था।
सूचना का अधिकार अभियान के प्रभारी गोपाल ¨सह ने कहा कि वहीं राज्य मुख्य सूचना आयुक्त और राज्य सूचना आयुक्त का वेतन चुनाव आयुक्त और राज्य सरकार के मुख्य सचिव के वेतन के बराबर मिलता था। इस संशोधन के जरिए सरकार इस कानून में अन्य संशोधन करने का रास्ता खोल रही है। यह विधेयक सूचना आयोग के कद को छोटा करने की कोशिश है।
जिला समन्वयक जनार्दन मिश्र ने कहा कि देश के सूचना का अधिकार कानून विश्व के सबसे बेहतरीन कानूनों में से एक है, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि 13 वर्षो में इसे जितना प्रभावी हो जाना चाहिए था उतना नहीं हो पाया।
इस मौके पर जिला संयोजक भारत प्रसाद अटल, रेनू ¨सह, शोभना मशाल, देवेंद्र ¨सह, विनोद गौतम, शेर बहादुर, महंतराज, मुन्नीबेगम, मो.शोएब खान, अली मंजर डेजी, लाल प्रकाश राही, संतोष कुमार मौर्य, राजमणि, अकरम अली, श्रीराम पाल आदि मौजूद रहे।