अक्षय नवमी आज, आंवले के वृक्ष का पूजन विशेष फलदायी
जागरण संवाददाता मछलीशहर (जौनपुर) कार्तिक शुक्ल नवमी अक्षय नवमी के नाम से विख्यात है। इसक
जागरण संवाददाता, मछलीशहर (जौनपुर): कार्तिक शुक्ल नवमी अक्षय नवमी के नाम से विख्यात है। इसकी गणना युगादि तिथियों में है। मान्यता है कि त्रेता युग का आरंभ इसी दिन से हुआ था। इस वर्ष इस पावन पर्व का सुखद संयोग सोमवार को है।
कार्तिक मास के देवता भगवान विष्णु हैं। इसीलिए इस दिन भगवान विष्णु की पूजा, भगवान नाम जप एवं कीर्तन इसके साथ ही आंवले के वृक्ष की पूजा, आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन करना कराना विशेष लाभदायी है। ज्योतिष एवं तंत्र आचार्य डा. शैलेश मोदनवाल कहते हैं कि भविष्य पुराण के अनुसार जो मनुष्य अक्षय नवमी के दिन आंवला के वृक्ष के नीचे जिन देवताओं की श्रद्धा पूर्वक अर्चन करेगा वह देवता उपासक के वश में हो जाते हैं। इस दिन आंवले के वृक्ष के नीचे मालती और तुलसी को स्थापित कर शालिग्राम की पूजा से पितरों को विशेष तृप्ति प्राप्त होती है। आज के दिन मनुष्य आंवले के वृक्ष के नीचे जो भी श्राद्ध करता है, वह हजारों गया श्राद्ध करने का फल प्राप्त करता है। जो भी मनुष्य वहां यज्ञ करता है वह हजारों यज्ञ करने के फल का भागी होता है। शास्त्रों के अनुसार आंवला पूजनीय है, क्योंकि आंवले के मूल में विष्णु, उसके ऊपर ब्रह्मा, स्कंध में परमेश्वर भगवान रूद्र, शाखाओं में मुनि, टहनियों में देवता, पत्तों में वसु, फूलों में मरुधर तथा फलों में समस्त प्रजापति वास करते हैं। भागवत कथा में बह रही भक्ति रस की गंगा
जागरण संवाददाता, गभिरन (जौनपुर): धरती पर जब पाप और अत्याचार अधिक बढ़ जाता है। हर तरफ अधर्म का साम्राज्य फैल जाता है। तब प्रभु अवतार लेकर धर्म की स्थापना करते हैं। यह बातें पंडित अखिलेश चंद्र मिश्र ने बीरमपुर गांव में संतोष मिश्र के आवास पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन प्रवचन के दौरान कही। उन्होंने कहा कि सभी को सत्यकर्म करना चाहिए। धर्म के अनुसार किए गए कार्य व्यक्ति को सुखी एवं वैभवशाली बनाता है, जबकि अधर्म करने वाले व्यक्ति को घोर नरक और पाप का भागीदार बनना पड़ता है। इस दौरान शारदा प्रसाद मिश्र, हरिश्चंद्र मिश्र, राकेश मिश्र, अजय तिवारी, पवन तिवारी, विकास तिवारी, संकठा प्रसाद यादव आदि मौजूद थे।