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मिट्टी की जांच कराकर संस्तुति के अनुसार डालें उर्वरक

जागरण संवाददाता जौनपुर विश्व मृदा दिवस के अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्रों पर संगोष्ठी का आ

By JagranEdited By: Published: Sat, 05 Dec 2020 07:15 PM (IST)Updated: Sat, 05 Dec 2020 07:15 PM (IST)
मिट्टी की जांच कराकर संस्तुति के अनुसार डालें उर्वरक
मिट्टी की जांच कराकर संस्तुति के अनुसार डालें उर्वरक

जागरण संवाददाता, जौनपुर : विश्व मृदा दिवस के अवसर पर कृषि विज्ञान केंद्रों पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया। जहां विशेषज्ञों ने मिट्टी के स्वास्थ्य के बारे में किसानों को जागरूक किया। कहा कि मिट्टी की जांच कराकर संस्तुति के अनुसार की खेतों में उर्वरक डालें। इस मौके पर किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किया गया।

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आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केंद्र अमिहित के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डा. नरेंद्र रघुवंशी ने किसानों को मिट्टी की महत्व के बारे में जागरूक किया। कहा कि इस वर्ष की थीम है मिट्टी को जीवित रखना, मिट्टी की जैव विविधता की रक्षा करना। उन्होंने जनपद में बीमार हो रही मिट्टी को बचाने की अपील की। कहा कि मृदा में जिन तत्वों की आवश्यकता हो उसे ही संस्तुति के अनुसार डालें। केंद्र के मृदा वैज्ञानिक दिनेश कुमार ने किसानों को मिट्टी का नमूना लेने की सही विधि के बारे में बताया । डा. नरेंद्र रघुवंशी ने 40 किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड वितरित किए। इस अवसर अमित चौबे, प्रदीप कुमार यादव, सचिन यादव, धीरज कुमार एवं विवेक कुमार रहे।

इसी क्रम में कृषि विज्ञान केंद्र बक्शा पर 70 किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड का वितरण किया गया। केंद्र के अध्यक्ष डा. सुरेश कुमार कन्नौजिया ने कहा कि मृदा स्वास्थ्य को बनाए रखना बहुत ही आवश्यक है, क्योंकि इससे हमें गुणवत्ता युक्त उपज प्राप्त होगी। इसके लिए कार्बनिक पदार्थ जैसे वर्मी कंपोस्ट, नाडेप, कंपोस्ट एवं पशुओं का मल-मूत्र से बने कंपोस्ट का इस्तेमाल करें। डा. संदीप कुमार ने बताया कि मिट्टी की छह इंच की ऊपरी परत को उपजाऊ बनाना बहुत आवश्यक है, क्योंकि इसी परत में लाभदायक जीवाणु फफूंद एवं एक्टीनोमाइसीट्स एवं अन्य लाभदायक जीव पाए जाते हैं, इन्हीं के उपस्थिति में पौधे अपने भोजन को बनाकर इस्तेमाल करते हैं। डा. सोमेंद्र नाथ ने मृदा स्वास्थ्य बनाए रखने में जैव उर्वरक एवं तरल उर्वरकों का बहुत ही योगदान है। इसका इस्तेमाल कर खेती में होने वाले व्यय को कम किया जा सकता है। डाक्टर अनिल कुमार ने जानकारी दी कि मिट्टी की जांच गर्मी में उस समय कराएं।


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