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एक बार फिर 140 दरख्तों की चढ़ेगी बलि

जागरण संवाददाता जौनपुर जिले में एक बार फिर दरख्तों की बलि चढ़ेगी। अभी वाराणसी-लखनऊ र

By JagranEdited By: Published: Wed, 01 Sep 2021 04:54 PM (IST)Updated: Wed, 01 Sep 2021 04:54 PM (IST)
एक बार फिर 140 दरख्तों की चढ़ेगी बलि

जागरण संवाददाता, जौनपुर: जिले में एक बार फिर दरख्तों की बलि चढ़ेगी। अभी वाराणसी-लखनऊ राजमार्ग के फोरलेन निर्माण के दौरान कटे छह हजार पेड़ों के अनुपात में किनारों पर पचास फीसद भी पौधों को लगाया नहीं जा सका है। अब मछलीशहर वाया जंघई-भदोही जाने मार्ग को भी फोरलेन में परिवर्तित किए जाने के लिए बीच में पड़ने वाले 140 पेड़ों को काटने के लिए पीडब्ल्यूडी ने वन विभाग से अनुमति मांगी है, जिसे भारत सरकार को भेजा गया है। हालांकि वन विभाग का कहना है कि काटे जाने वाले वृक्षों के अनुपात में पौधों को लगाना होगा, जिसके बाद ही हरे वृक्षों को काटने की अनुमति दी जाएगी।

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यह मार्ग जंघई से होते हुए भदोही में मिलेगा। जिले में इसका दायरा 31 किलोमीटर पड़ेगा। हाइवे के दायरे को बढ़ाने के लिए इसे वाराणसी-प्रयागराज से भी लिक किया जाएगा। 82 किलोमीटर इस महत्वपूर्ण परियोजना पर तकरीबन तीन सौ करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। विकास कार्य को गति देने वाली इस महत्वपूर्ण परियोजनों में 140 वृक्षों की बलि भी चढ़ेगी।

जिले की सीमा में हैं 90 पेड़

जिले की सीमा में 90, जबकि भदोही में 50 हरे वृक्षों को काटा जाएगा। नियम के मुताबिक निर्माण कराने वाले विभाग को वृक्षों को काटे जाने से पहले उतनी ही संख्या में पौधों को लगाया भी जाता है, लेकिन इस पर अमल नहीं के बराबर होता है। यही वजह है कि हाइवे के किनारों से गायब हरियाली दोबारा लौट नहीं पाती। पांच वर्षों में छह हजार काटे गए पेड़

राजमार्ग चौड़ीकरण में गत पांच वर्षोँ में छह हजार पेड़ काट दिए गए। जिस तेजी से पेड़ काटे गए उतनी संख्या में पौधे रोपे नहीं जा सके। यही वजह है कि वाराणसी-लखनऊ राजमार्ग पर जिले की सीमा क्षेत्र में सड़कों के किनारे पौधों की संख्या काफी कम रह गई है। वृक्षों की कमी को राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को पूरा करना था, जो किया नहीं गया। बोले अधिकारी..

पीडब्ल्यूडी के प्रस्ताव को भारत सरकार की अनुमति के लिए भेजा गया है। निर्माण कराने वाले विभाग को ही काटे गए वृक्षों के अनुपात में पौधों को लगाने की जिम्मेदारी दी जाती है, लेकिन चिता की बात यह है कि संबंधित विभाग इस कमी को पूरा करने में संजीदगी नहीं दिखाता।

-प्रवीण खरे, डीएफओ।


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