स्वयं सहायता समूहों से महिलाएं गढ़ रहीं सफलता की कहानी
घर का सहारा भी बनीं। जिला प्रशासन के सहयोग से
जागरण संवाददाता, उरई : राष्ट्रीय ग्रामीण व शहरी आजीविका मिशन द्वारा गठित किए गए स्वयं सहायता समूह महिलाओं को स्वालंबन की राह दिखाने में सार्थक साबित होते नजर आ रहे हैं। कई समूहों की महिलाएं सफल रोजगार कर न सिर्फ अपनी तकदीर को संवारा बल्कि घर का सहारा भी बनीं। जिला प्रशासन के सहयोग से किसी समूह की महिला कैंटीन संचालित कर रही है तो किसी ने अपने उत्पादों को बनाकर बेचना शुरू कर दिया। यह महिलाएं उन महिलाओं को आइना दिखा रही हैं जो सिर्फ तकदीर और भाग्य के भरोसे रहती हैं।
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केस स्टडी एक : चुर्खी रोड पर रहने वाली कल्पना खरे साक्षी स्वयं सहायता समूह की कोषाध्यक्ष हैं। इन दिनों वह कलेक्ट्रेट में कैंटीन संचालित कर पांच से आठ हजार रुपये तक कमा लेती हैं। इनके पति प्राइवेट वाहन चलाते हैं। घर को बेहतर ढंग से संचालित करने और बच्चों की अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए इन्होंने वर्ष 2016 में शहरी आजीविका मिशन के तहत एक समूह गठित किया। इस समूह से जुड़ी महिलाओं में कोई दलिया, अचार, पापड़ बना रही है तो किसी ने सिलाई कढ़ाई का काम शुरू किया है। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति अब ठीक होने लगी है।
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केस स्टडी दो : ग्राम कुसमिलिया की रहने वाली माया देवी इन दिनों विकास भवन में कैंटीन चला रही हैं। वर्ष 2015 में बीडीओ सुदामा शरण की प्रेरणा से इन्होंने लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह एनआरएलएम के सहयोग से गठित कराया। इसमें ग्यारह महिलाएं जुड़ी हैं। कोई पशुपालन कर रहा है तो किसी ने परचून की दुकान खोल रखी है। अब माया देवी को किसी बात की परेशानी नहीं है। वह कैंटीन चलाकर अच्छा खासा मुनाफा कमाकर घर परिवार को आर्थिक रूप से योगदान दे रहीं हैं। इनके पति के पास थोड़ी सी जमीन है जिस पर वह खेती करते हैं।
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जिले में समूहों की स्थिति
कुल समूह : 5790
सक्रिया समूह 3939
रिवाल्विग फंड मिला : 3939 को
सामुदायिक निवेश फंड मिला 2701 को
सीसीएल दिलाया गया 1096 समूहों को
2061 समूह कृषि क्षेत्र में काम कर रहे हैं
503 समूह पशु पालन व गैर कृषि क्षेत्र में सक्रिय हैं
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बोले जिम्मेदार
समूहों को सशक्त बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। जिलाधिकारी इसको लेकर बेहद गंभीर हैं। समूहों को हर तरह से सहायता देने का काम किया जा रहा है।
अशोक कुमार गुप्ता डीसी एनआरएलएम