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रामपुरा सीएचसी में अल्ट्रासाउंड तक की नहीं है सुविधा

संवाद सहयोगी माधौगढ़ कोरोना वायरस महामारी चरणबद्ध तरीके से बार-बार आ रही है लेकिन रामपुरा समुदाय स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाओं का टोटा है। पहले से दम तोड़ रही सीएचसी में अल्ट्रसाउंड जांच तक की सुविधा नहीं है। जिसकी वजह से मरीज हलाकान हो जाते हैं। बहुत सारी जांच सुविधाओं को अभी तक स्थापित नहीं कराया गया है। वहीं विशेषज्ञ डाक्टरों का रोना भी है।

By JagranEdited By: Published: Fri, 25 Jun 2021 06:12 PM (IST)Updated: Fri, 25 Jun 2021 06:12 PM (IST)
रामपुरा सीएचसी में अल्ट्रासाउंड तक की नहीं है सुविधा

संवाद सहयोगी, माधौगढ़ : कोरोना वायरस महामारी चरणबद्ध तरीके से बार-बार आ रही है, लेकिन रामपुरा समुदाय स्वास्थ्य केंद्र में सुविधाओं का टोटा है। पहले से दम तोड़ रही सीएचसी में अल्ट्रसाउंड जांच तक की सुविधा नहीं है। जिसकी वजह से मरीज हलाकान हो जाते हैं। बहुत सारी जांच सुविधाओं को अभी तक स्थापित नहीं कराया गया है। वहीं विशेषज्ञ डाक्टरों का रोना भी है।

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माधौगढ तहसील क्षेत्र के कस्बे में रामपुरा सीएचसी बना हुआ है। आस पास के पंद्रह चिकित्सा सेवा के उद्देश्य से 2014 में एक करोड़ की लागत से समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का निमार्ण कराया गया था। 30 बेड के अस्पताल में चार डाक्टर तैनात किए गए हैं । प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ समीर प्रधान, डा. विनय, डा. रंजीत सिंह डा. अरुण सिंह की तैनाती है। मजे की बात यह है कि 7 वर्ष बीतने के बाद भी कोई विशेषज्ञ तैनात नहीं किया गया है। चिकित्सकों के आवास अभी तक अधूरे पड़े हैं। डाक्टरों को किराये पर रहना पड़ रहा है। कस्बा रामपुरा के समुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में आवासों की हालत खराब है। अच्छी स्वास्थ्य सेवाएं मिल सके, इसके लिए डाक्टरों के सरकारी आवास भी बनाए गए हैं। लेकिन यह भी जर्जर हालत में हैं। यहां जो भी डाक्टर तैनात हैं वह भी यहां रहने से डरते हैं। डाक्टरों को इधर उधर कमरा लेकर रहना पड़ रहा है। निजी अस्पताल जाने को मजबूर हैं मरीज :

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में अल्ट्रासाउंड सुविधा नहीं होने से मरीजों को जिला अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। साथ ही सिटी स्क्रीन ब्लड बैंक डिजिटल एक्सरे आदि की सुविधाएं नहीं हैं। महंगी जांचे होने के कारण लोगों को निजी चिकित्सालय जाने पर हजारों रुपये खर्च करने पड़ते हैं । क्या कहते हैं क्षेत्रीय लोग :

छोटी बीमारियों के अलावा किसी बड़ी बीमारी का इलाज नहीं होता है अगर किसी को इमरजेंसी आ जाए तो बाहर ही जाना पड़ता है।

पवन सिरोठिया सात वर्ष बीतने के बाद बाद भी विशेषज्ञ डाक्टरों की तैनाती नहीं की गई है। तैनाती न होने से लोगों को बाहर ही इलाज के लिए जाना पड़ता है। सभी प्रकार की जांचे व डाक्टरों की तैनाती हो जाए तो बेहतर होगा।

नरेंद्र सक्सेना सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लेब टैक्नीशियन की तैनाती नहीं की गई है। जिससे मरीजों की जांच नहीं हो पाती है। अगर जांचे होने लगे तो मरीजों को जांच के लिए बाहर नहीं जाना पड़ेगा।

आदित्य चतुर्वेदी डाक्टरों के आवास अभी तक अधूरे पड़े हैं। जंगल होने की वजह से रात में कोई रहने को तैयार नहीं है। अगर डाक्टरों के आवास बन जाएं तो डाक्टर से लेकर सभी कर्मचारी रात में रहने लगेंगे।

रामबीर सिंह


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