आश्रय की 'छांव' में अव्यवस्थाओं के 'घाव'
केस एक माधौगढ़ तहसील क्षेत्र के ग्राम शहबाजपुरा की गोशाला में तालाब की तरह गंदा पानी भर
जागरण संवाददाता, उरई : प्रदेश में जैसे ही सरकार बदली तो सबसे पहले मुख्यमंत्री ने बदहाल गोशालाओं को दुरस्त कराने का बीड़ा उठाया था। जिले के लगभग 22 हजार बेसहारा मवेशी के लिए 12.59 करोड़ रुपये से छह कान्हा गोशाला व गांवों में 125 स्थायी व 290 अस्थायी गोशालाएं बनवाई गईं थी। इसके बाद भी बेसहारा मवेशी सड़कों व खेतों में नजर आते हैं। गोशालाओं में कीचड़ और पानी भरा हुआ है। जिससे करोड़ों का बजट पानी में बहता नजर आ रहा है।
चार दिनों की बारिश के बाद गोशालाओं के हालात बदतर हो गए हैं। चारा है और न ही अन्य संसाधन दिख रहे हैं। लाचार मवेशी खेतों और सड़कों की शरण ले रहे हैं। सिर्फ कान्हा गोशालाएं बनवाने के लिए सरकार ने 12 करोड़ का बजट खर्च कर दिया है। स्थायी व अस्थायी गोशालाओं के लिए खर्च किया गया बजट बर्बाद हो गया है। जिले के 920 राजस्व ग्रामों में जहां पर बेसहारा मवेशी की समस्या थी वहां पर 125 स्थायी व 290 अस्थायी गोशालाएं बनवा दी गई थीं। केस एक :
माधौगढ़ तहसील क्षेत्र के ग्राम शहबाजपुरा की गोशाला में तालाब की तरह गंदा पानी भरा हुआ है। जिससे मवेशी सड़कों व खेतों में घूम रहे हैं। बारिश के मौसम में गोशाला बदहाल हो गई है। टिनशेड के नीचे भी पानी भरा है जिससे यहां मवेशी नहीं बंद किए जा सकते हैं।
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केस दो :
आटा कस्बे में गोशाला पूरी तरह से खाली पड़ी है। कीचड़ ही कीचड़ नजर आ रहा है। यहां बंद होने वाले मवेशी के लिए चारा पानी की कोई व्यवस्था नहीं है। जिससे मवेशी खेतों में घुसकर अपनी भूख मिटाते हैं। साथ ही झांसी-कानपुर हाईवे के डिवाइडर पर सैकड़ों की संख्या में बेसहारा मवेशी बैठे रहते हैं।
खाली स्थान पर ही बना दिया गोशाला :
पिछले वर्ष जब रबी की फसल की बोआई हो रही थी उस समय जिला प्रशासन ने सीएम के आदेश पर खानापूर्ति करते हुए जिले भर में खाली स्थानों पर तार फेंसिग करवाकर मवेशी को बंद कर दिया था। उन्हें छाया, बारिश व सर्दी से बचाव के लिए मात्र एक-दो टिनशेड लगवाए थे वह भी अब गायब हो चुके हैं। साथ ही बारिश में गोशालाओं में सिर्फ अब कीचड़ दिखता है।
हादसों में हुआ इजाफा : गोशालाएं जब से खाली हुई हैं तब से हाईवे व राजमार्ग, संपर्क मार्गों पर बैठे आवारा मवेशी वाहन चालकों के लिए परेशानी का कारण बन गए हैं। शनिवार को ही औरैया-जालौन हाईवे पर बेसहारा मवेशी को बचाने के चक्कर में एक कार पलट गई थी जिसमें कोंच के तीन लोग बुरी तरह से घायल हो गए थे। इसके साथ दो पहिया वाहन चालक आए दिन इनसे टकराकर दुर्घटना हो शिकार होते हैं। जिससे रोजाना घटनाओं में इजाफा हो रहा है।
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एक माह में मर चुके हैं 300 से अधिक मवेशी :
जिले में एक माह के अंदर 300 से अधिक मवेशी अफसरों की कागजी बाजीगरी में मच चुके हैं। यह मवेशी कहीं मार्ग दुर्घटना में मरे हैं तो कहीं चारे की व्यवस्था न होने पर भूख से मर गए हैं। मजे की बात तो यह है कि जिला प्रशासन का दावा है कि अब तक जिले में एक भी बेसहारा मवेशी की मौत नहीं हुई है। आंकड़ों पर एक नजर
कुल बेसहारा मवेशी - 22 हजार
कान्हा गोशाला - 06
कान्हा गोशाला खर्च - 12.59 करोड़ रुपये
कान्हा गोशाला में बंद मवेशी - 842
स्थायी गोशाला - 125
अस्थायी गोशाला - 290
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कान्हा गोशालाएं एक नजर में - रामपुरा : कान्हा गोशाला
क्षमता : 350 के लगभग
बंद मवेशी : 250
लागत : 3.25 करोड़ रुपये - कदौरा : कान्हा गोशाला
क्षमता : 400 के लगभग
बंद मवेशी : 202
लागत : 3.30 करोड़ रुपये - चमारी : कान्हा गोशाला (निर्माणाधीन)
क्षमता : 450
बंद मवेशी : 180
लागत : 1.20 करोड़ रुपये - कोंच : कान्हा गोशाला
बंद मवेशी : 190
क्षमता : 300
लागत : 1.60 करोड़ रुपये - नदीगांव : कान्हा गोशाला
बंद मवेशी : 00
क्षमता : 300
लागत : 1.60 करोड़ रुपये - जालौन : कान्हा गोशाला
बंद मवेशी : 00
क्षमता : 200
लागत : 1.64 करोड़ रुपये -----------------------
जिले में बेसहारा मवेशी के संरक्षण के लिए लगातार निरीक्षण अभियान चलाया जा रहा है। ब्लाक स्तर पर अधिकारियों को सख्त ताकीद दी गई है। मवेशी के चारे पानी की व्यवस्था कराई जा रही है। अगर कहीं से भी शिकायत मिली तो कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
प्रियंका निरंजन, जिलाधिकारी, जालौन