43 साल पहले अमेरिका में शुरू किया करियर, मां बीमार हुई तो लौटे वतन
जागरण संवाददाता उरई जिले में ऐसे लोगों की कमी नहीं जिन्होंने अपनी योग्यता के दम पर दूसर
जागरण संवाददाता, उरई : जिले में ऐसे लोगों की कमी नहीं जिन्होंने अपनी योग्यता के दम पर दूसरे देशों में जाकर सफलता की बुलंदी को छुआ है। दयानंद वैदिक डिग्री कालेज के प्रबंधक डॉ. देवेंद्र कुमार की गिनती ऐसे ही लोगों में है। एमबीबीएस करने के बाद उन्होंने अपने करियर की शुरूआत अमेरिका से की, लेकिन जब मां बीमार हुईं तो वतन लौटकर उन्होंने खुद को स्थापित किया।
मोहल्ला रामनगर निवासी डॉ. देवेंद्र कुमार ने उरई के राजकीय इंटर के इंटर तक की पढ़ाई करने के बाद कानपुर से एमबीबीएस किया। इसके बाद वर्ष 1977 में वे अमेरिका के न्यूयार्क शहर चले गए। वहां पर सेट्रल पैथोलॉजी से रिसर्च कर अपने करियर की शुरुआत की। अमेरिका में सफलता की राहत पर चलने के बाद भी उनका अपने शहर से लगाव कम नहीं हुआ। उनसे प्रेरित होकर जिले से कई और साथी अमेरिका व फ्रांस जैसे देशों में पहुंचे और अलग अलग क्षेत्र में खुद को स्थापित किया। लेकिन अपनों से लगाव की वजह से डॉ. देवेंद्र वापस लौट आए। दरअसल मां द्रोपदी देवी के बीमार होने के बाद उनकी सेवा के दायित्व को पूरा करने करने के लिए उनको वापस लौटना पड़ा। डॉ. देवेंद्र के अनुसार अभी भी जिले के तमाम लोग यूरोपियन देशों में चिकित्सा, आइटी सेक्टर में खुद को स्थापित कर जिले वे देश का नाम रोशन कर रहे हैं। खास बात यह है कि दूसरे देशों में प्रवास के बाद अपने देश व अपनी माटी की महत्ता का अहसास होता है। दुनिया का कोई देश हो अनिवासी भारतीयों को बेहद सम्मान के नजरिए से देखा जाता है, जो शायद दूसरे देशों के लोगों को हासिल नहीं हो पाता है। यह हर भारतवंशी के लिए सम्मान की बात है।