खेती का विज्ञान : अतिरिक्त आय दे सकती स्त्रोत ¨सघाड़ा की खेती
¨सघाड़ा एक मौसमी फल है। इसमें बहुत से गुण होते हैं। लोग इसका प्रयोग कच्चा व पका कर करत
¨सघाड़ा एक मौसमी फल है। इसमें बहुत से गुण होते हैं। लोग इसका प्रयोग कच्चा व पका कर करते हैं। इस फल में आयोडीन व मैगनीज होने के कारण यह घेंघा रोग से बचाता है। इसमें सिट्रिक एसिड, कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, जैसे रासायनिक तत्व पाए जाते हैं। 100 ग्राम कच्चे फल में 70 प्रतिशत पानी, 23 प्रतिशत कार्बोहाइड्रेट भी होता है। किसानों के लिए यह फल अतिरिक्त आय का स्त्रोत है।
उत्पादन की तैयारी
¨सघाड़ा एक जलीय फल है। यह पानी की सतह पर तैरते हुए पौधों की जड़ों में उगता है लेकिन ज्यादा पानी भी इसके लिए मुफीद नहीं है। यह फल पानी में ही पैदा होता है।
उत्पादन का समय
इसकी फसल सितंबर से दिसंबर तक होती है। इसकी पौध को पानी से भरे तालाबनुमा खेत मे लगाया जाता है। जो लगाने के 20 से 30 दिन में फल देने लगता है। इसमें फल आने पर जितनी जल्दी फलों को तोड़ा जाता है, उतनी ही फसल अच्छी होती है। इसकी एक बार फसल तैयार होने के बाद बीज दोबारा नहीं खरीदना पड़ता है। लोग घरों पर ही इसका बीज तैयार कर लेते हैं। एक हेक्टेयर में 75 से 100 ¨क्वटल की पैदावार होती है।
प्रमुख कीटों व रोगों से करें बचाव
¨सघाड़ा में बीज सड़न, तना सड़न व जड़ सड़न के अलावा विशेष किस्म की इल्ली की तरह कीड़ा लग सकता है अतएव इसके बचाव हेतु करबोरिल-10 25 किग्रा. प्रति हेक्टेयर के हिसाब से छिड़काव करना चाहिए। यदि अन्य कोई रोग लगे तो कृषि वैज्ञानिकों से सलाह ले सकते हैं।
गिरेंद्र शर्मा, कृषि रक्षा इकाई प्रभारी माधौगढ़