नदियां पानी से लबालब, खेतों से निकाल रहे मौरंग
खनन बंदिश की समय सीमा समाप्त होने के बाद भी घाटों पर मशीनें नहीं गरज पा रही हैं। वजह नदियां पानी से लबालब हैं जिससे संचालकों की पौ बारह नहीं हो पा रही है। हालांकि इसका तोड़ भी आसानी से निकाल लिया गया है। निजी भूमि पर खनन की इजाजत नहीं होने के बाद भी धड़ल्ले से अवैध खनन शुरू हो गया है।
संवाद सूत्र, कदौरा : खनन बंदिश की समय सीमा समाप्त होने के बाद भी घाटों पर मशीनें नहीं गरज पा रही हैं। वजह, नदियां पानी से लबालब हैं, जिससे संचालकों की पौ बारह नहीं हो पा रही है। हालांकि इसका तोड़ भी आसानी से निकाल लिया गया है। निजी भूमि पर खनन की इजाजत नहीं होने के बाद भी धड़ल्ले से अवैध खनन शुरू हो गया है। विभागीय और इलाकाई पुलिस की मिलीभगत से अवैध रूप से मौरंग खनन धड़ल्ले से जारी है।
नदियों के किनारे के खेत माफिया की नजरों में हैं। जिन खेतों में मौरंग है, उन किसानों और ग्रामीणों को थैली की खनक से मौन कर दिया गया है। उनके खेतों से मौरंग खनन किया जा रहा है। विभागीय और इलाकाई पुलिस से सेटिग के बूते कोई बोलने वाला नहीं है। ट्रैक्टर से मौरंग ढोई जा रही है। खास बात यह कि जहां पर ट्रैक्टर के निकलने का रास्ता नहीं है, वहां पर ग्रामीण इलाकों के ऐसे युवक इस काम में लगाए गए हैं, जिनके पास बाइक है। ऊबड़-खाबड़ रास्तों से बाइक के जरिए मौरंग को एक स्थान पर डंप किया जा रहा है, जहां से ट्रैक्टर के जरिए ले जाई जा रही है।
खुलेआम हो रही राजस्व चोरी के बाद भी जिम्मेदारों ने मौन साध रखा है। ग्रामीण इलाके के डंप इसके गवाह हैं। माफिया रातभर अपनी निगरानी में खेतों से मौरंग निकलवा रहे हैं।
पथरेहटा गांव में माफिया सक्रिय
कदौरा के पथरेहटा गांव में बालू माफिया शाम ढलते ही सक्रिय हो जाते हैं। खेतों में मजदूरों की फौज जमा होती है। ट्रकों में मौरंग लोड की जाती है। अवैध खनन का विरोध करने वाले का धन या बाहुबल से मुंह बंद कर दिया जाता है। मिल जाती लोकेशन
खास बात यह कि सड़क के आसपास उनके गुर्गे मौजूद रहते हैं। अगर किसी अधिकारी की गाड़ी नजर आई तो लोकेशन मिलते ही वहां सन्नाटा पसर जाता है। टीम के आगे बढ़ते ही बेधड़क ट्रैक्टर व अन्य वाहनों के जरिए डंप मौरंग भेजी जाती है। ट्रैक्टरों के जरिए गांवों के अंदर मौरंग का डंप हो रहा है।