यहां कोरोना से रेलवे है बेफिक्र, गवाह जमीनी हकीकत
कोरोना को लेकर हर तरफ कोहराम है। रेलवे भी सजग है। कई दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। एसी बोगियों से चादर कंबल और खिड़कियों के पर्दे उतरवा दिए गए हैं। जाहिर है कि महकमे को यात्रियों की सुरक्षा की पूरी चिता है। रोज ही कोई न कोई दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं। प्लेटफार्म का टिकट महंगा कर दिया ताकि कम लोग भीड़ का हिस्सा बनें। दावा है कि ट्रेनों में सफाई के साथ निरंतर सैनिटाइज किया जा रहा है। संभव है कि निर्देशों का पालन दिल्ली-मुंबई-कानपुर जैसे स्टेशनों पर
शैलेंद्र शर्मा, उरई
कोरोना वायरस से बचने के लिए हर कोई बचाव करता दिख रहा है। कुछ ऐसा ही दावा रेलवे विभाग का भी है। एसी बोगियों से चादर, कंबल और खिड़कियों के पर्दे उतरवा दिए गए हैं। जाहिर है कि महकमे को यात्रियों की सुरक्षा की पूरी चिता है। साथ ही रोज ही कोई न कोई दिशा निर्देश दिए जा रहे हैं। प्लेटफार्म का टिकट महंगा कर दिया ताकि कम लोग भीड़ का हिस्सा बनें। दावा है कि ट्रेनों में सफाई के साथ निरंतर सैनिटाइज किया जा रहा है। संभव है कि निर्देशों का पालन दिल्ली-मुंबई-कानपुर जैसे स्टेशनों पर पालन हो रहा है। उरई रेलवे स्टेशन की कहानी उलट है। जमीनी हकीकत बताती है कि यहां पर रेलकर्मी व अधिकारी कोरोना को लेकर बेफिक्र नजर आ रहे हैं। वजह, पैसेंजर तो दूर लंबी दूरी की ट्रेनें आती हैं और चली जाती हैं। भीड़ अपने अंदाज में ही चढ़ती-उतरती है। सफाई को एक भी कर्मचारी के दर्शन नहीं होते हैं। हां, जागरुकता संबंधी पोस्टर जरूर शोभा बने हैं।
मुंबई से प्रतापगढ़ जाने वाली उद्योग नगरी सुबह करीब सवा 11 बजे स्टेशन पहुंचती है। भीड़ चरम पर नजर आई। जनरल बोगी में बैठे प्रतापगढ़ निवासी शाहिद ने बताया कि कई फैक्ट्रियां बंद कर दी गई हैं। घर जाने को कहा गया है। कोरोना के चलते अब हम लोग घर लौट रहे हैं। शाहिद की तरह ही बड़ी संख्या में लोग परिवार के साथ सफर कर रहे थे। वैध के साथ अवैध वेंडरों की लगी कतार
लंबी दूरी के सफर के दौरान यात्रियों की भूख-प्यास कैश कराने के लिए ट्रेन आते ही वैध के साथ अवैध वेंडरों की कतार नजर आने लगी। पोस्टर गवाही दे रहे थे कि खुले खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करें, लेकिन ऐसे वेंडरों को रोकने वाला कोई नहीं था। कटे फल के साथ खुले में रखा सामान लापरवाही से बेचा जा रहा था। ट्रैक की मख्खियां खाने के सामान पर भिनभिना रही थीं और मजबूर यात्री उनको खरीदने के लिए विवश थे। यह थी यात्रियों की सुरक्षा का दावा करने वालों की बेपरवाही। एसी बोगी में हर तीसरा लगाए था मास्क
रेलवे की सजगता भले ही जमीन पर नहीं दिख रही हो पर यात्री जरूर जागरूक दिखे। एसी बोगियों में करीब हर तीसरा यात्री मुंह पर मास्क लगाए था। बच्चे भी खुद की सुरक्षा को लेकर चितित थे। कानपुर जा रहे केशव नगर के सुरेश ने बताया कि हमें तो कहीं विशेष रूप से साफ-सफाई होते नहीं दिखी। हां, सफर कर रहे लोग जरूर सचेत हैं और गंदगी को कूड़ेदान में ही डाल रहे हैं। जो बोगी में फेंकते हैं, उनको टोंक दिया जाता है। नाक पर रखना पड़ता रुमाल
सफाई को आगाह करने वाले खुद कितने सजग हैं, इसकी बानगी स्टेशन के अंदर जाने के पहले ही नजर आती है। मुख्य गेट के बगल में ही प्रसाधन केंद्र है। सड़क का किनारा होने के चलते बाहरी दुकानदार और राहगीर भी यहीं लघुशंका करते हैं। नालियां चोक होने से गंदा पानी गेट के पास तालाब के रूप में नजर आता है। महिलाएं व बच्चे तो नाक पर रुमाल रख कर निकलते हैं। मार्च की शुरुआत से रद कराए गए 1097 टिकट
कोरोना की दहशत ने यात्रियों की संख्या में गिरावट की है। जो लोग पहले से टिकट आरक्षित करा चुके थे, वह भी यात्रा रद कर रहे हैं। सीटीआइ रवि शाक्या ने बताया कि मार्च माह की शुरुआत से अभी तक 1097 लोगों ने टिकट रद कराए हैं। सफर के दौरान यात्रियों को जागरूक किया जाता है। यात्रियों को जागरूक करने के लिए रह उपाय किया जा रहा है। समय-समय पर उद्घोषणा कराई जाती है। पोस्टर और पंपलेट लगवाए गए हैं। ट्रेन आते ही जवान पहुंचते हैं और यात्रियों को जागरूक करते हैं।
राजीव उपाध्याय, आरपीएफ प्रभारी
सैनिटाइजेशन करने की कोई व्यवस्था नहीं है। झांसी और कानपुर में ही यह काम किया जाता है। रेल प्रशासन ने अभी ऐसा कोई संसाधन नहीं दिया है। गेट के बाहर फैली गंदगी को साफ करने के लिए मेमो दिया जाएगा। साफ सफाई का ध्यान रखा जा रहा है।
अनूप सक्सेना, सीसीआइ, उरई रेलवे स्टेशन