प्राइवेट नर्सरियों से पौधों से बनाए सरकारी आंकड़े
जागरण संवाददाता, उरई : आंकड़ों का हिसाब न देना पड़े और अपनी जेब भी गर्म हो जाए, कुछ ए
जागरण संवाददाता, उरई : आंकड़ों का हिसाब न देना पड़े और अपनी जेब भी गर्म हो जाए, कुछ ऐसा ही खेल किया गया पौधरोपण अभियान में। प्रदेश सरकार की मंशा के अनुरूप जिले में 18 लाख दो हजार 659 पौधे लगाने का लक्ष्य रखा गया। अफसरों ने ऐसा खेल किया कि कागजों में लक्ष्य से ज्यादा 18 लाख 26 हजार 330 पौधे लग गए। हकीकत में ये पौधे खोजने से भी नहीं दिखाई दे रहे हैं। हाल तो यह है कि वन विभाग की नर्सरियों में पौधे होने के बाद भी ज्यादा तक ग्राम पंचायतों में पौधे प्राइवेट नर्सरियों से लिए गए। ऐसे में विभाग आंकड़े देने से भी बचने की कोशिश करेगा और पौधे के नाम पर मनमाने भुगतान की सूची अलग से बनाई जाएगी। हालत तो यह है कि जहां भी पौधे लगाए गए, वो भी सात दिन के अंदर सूख गए।
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सरकारी नर्सरी में बचे 26 हजार पौधे
उरई रेंज की संकट मोचन वन ब्लॉक पौधशाला में पौधों अंबार लगा है। क्षेत्रीय वनाधिकारी राजीव श्रीवास ने बताया कि इस वर्ष पौधशाला में 52 हजार पौधे तैयार हुए थे। 15 अगस्त को यहां से 26 हजार पौधों का उठान हुआ। 26 हजार पौधे अभी भी संकट मोचन नर्सरी में रखे हैं। जालौन रेंज के क्षेत्रीय वनाधिकारी र¨वद्र ¨सह भदौरिया ने बताया कि उनके क्षेत्र में सिर्फ एक नैनापुर पौधशाला है, जिसकी क्षमता 2 लाख पौधे की है। हालांकि इस बार 1 लाख 4 हजार ही पौधे ही उपलब्ध हो सके। इससे विभागीय लक्ष्य पूरा हो गया है।
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निगरानी समिति को जांच की जिम्मेदारी
पौधरोपण अभियान के लिए एक निगरानी समिति गठित है। समिति को पौधों का भौतिक सत्यापन कर अपनी रिपोर्ट तैयार करनी थी। पौधरोपण के दौरान तो सत्यापन किया गया, लेकिन सात दिन बाद पौधों की क्या स्थिति है, इस पर ध्यान नहीं दिया गया है।
लापरवाही पर होगी कार्रवाई
पौधे लगाने के पहले ही निर्देश दिए गए थे कि पौधों की सुरक्षा और पानी देने के व्यवस्था कर लें। इसके बाद भी अगर लापरवाही हुई है तो इसकी जांच कराई जाएगी। शिकायत पर वास्तविकता का पता लगाया जाएगा और लापरवाही मिलने पर कार्रवाई की जाएगी।
- अवधेश बहादुर ¨सह, सीडीओ