शहर के बदहाल पार्कों की नहीं संवर सकी सूरत
जागरण संवाददाता, उरई : शहर में वैसे तो पार्कों की कमी है। जो हैं भी तो उपेक्षा का दंश
जागरण संवाददाता, उरई : शहर में वैसे तो पार्कों की कमी है। जो हैं भी तो उपेक्षा का दंश झेल रहे हैं। इनको संवारने के लिए कभी जहमत नहीं उठाई जाती है जिससे यह पार्क बदहाली की कगार पर पहुंच गए हैं। शहर के अंदर बने छोटे पार्क अतिक्रमण की चपेट में हैं। इनके सुंदरीकरण के नाम पर सिर्फ खानापूरी होती रही है। जेल रोड पर स्थिति रामकुंड पार्क, कोंच स्टैंड पर अमित पार्क सिर्फ झाड़ झंखाड़ से पटे हुए हैं। ऐसे में इन पार्कों में कभी कोई जाता ही नहीं है।
लोगों के घूमने टहलने के लिए पार्क बनवाए जाते हैं ताकि लोग अपना कुछ समय सुकून से गुजार सकें। लेकिन यहां पर पार्कों की हालत खराब बनी है। शहर में पार्कों की संख्या वैसे भी कम है। दो तीन बड़े पार्क हैं बाकी काफी छोटे हैं लेकिन अगर इनको ही संवार दिया जाए तो काफी कुछ बदल सकता है। मगर इस ओर ध्यान देने की फुर्सत किसी को नहीं है। बहुत हुआ तो कभी कभार लाइटें आदि बदलवा दी जाती हैं। जो कुछ समय ही टिक पाती हैं। इसके अलावा न तो इनके सुंदरीकरण के लिए प्रयास किए गए न रखरखाव के लिए। उदाहरण के तौर पर शहर के बीच में स्थित शहीद भगत ¨सह पार्क को ही लें। इस पार्क में शहीद भगत ¨सह, राजगुरु और सुखदेव की प्रतिमा लगी हुई है। यह पार्क काफी छोटा है। शहीद भगत ¨सह के साथी रहे क्रांतिकारी जयदेव कपूर ने द्वारा 1 मई 1989 को प्रतिमाओं का अनावरण कराया गया था। उस समय पार्क में फव्वारे लगे थे और यह काफी अच्छा भी था लेकिन धीरे-धीरे बदहाली की कगार पर पहुंच गया। अब इस पार्क के चारों तरफ अतिक्रमण है। काफी बड़े क्षेत्रफल में बने रामकुंड पार्क का हाल भी बेहाल बना हुआ है। कुंड में अब भले ही बारिश का कुछ पानी भर गया है लेकिन इसका न तो रखरखाव किया जाता है। अब लोगों ने इस पार्क में जाना ही छोड़ दिया है। कोंच स्टैंड स्थित अमित पार्क भी बदहाली की मार झेल रहा है। झाड़ झंखाड़ से यह पटा रहता है। कमोबेश अन्य पार्कों की स्थिति इसी तरह की है। जिम्मेदारों ने इस तरफ कोई ध्यान नहीं दिया।
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जिम्मेदार बोले
पार्कों की दशा को सुधारने के लिए पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। अमृत योजना में कुछ पार्क लिए गए थे जिसमें आफीसर्स कालोनी स्थित उदिशा पार्क को बेहतरीन बना दिया गया है। जल्दी ही अन्य पार्कों का भी कायाकल्प होगा। रामकुंड के लिए लगभग 62 लाख का बजट स्वीकृत हो चुका है। पार्कों की बदहाली जल्दी ही दूर की जाएगी।