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कुसमिलिया के उप डाकघर में लटकता ताला, बुलाते डकोर-उरई

..ग्राम बबीना मे स्टेट बैंक शाखा का ए टी एम लगभग आठ माह. से खराब पडा है जिससे ए टी एम से पैसा निकालने वाले परेशान हो रहे हैं । लोग आशा लगाकर ए टी एम से पैसा निकलाने आते हैं और फिर ए टी एम की ये दशा दे ख निराश होकर वापस चले जाते हैं

By JagranEdited By: Published: Mon, 22 Jul 2019 06:10 PM (IST)Updated: Tue, 23 Jul 2019 06:23 AM (IST)
कुसमिलिया के उप डाकघर में लटकता ताला, बुलाते डकोर-उरई
कुसमिलिया के उप डाकघर में लटकता ताला, बुलाते डकोर-उरई

संवाद सूत्र, डकोर : ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों की सुविधाओं के लिए खोले गए डाकघर शोपीस के अलावा कुछ और नजर नहीं आते हैं। कर्मचारियों की लापरवाही के कारण प्रतिदिन के बजाए कभी-कभार ही इनका ताला खुलता है। चिट्ठी-पत्री का दौर गुजरने के साथ ही कर्मचारी भी कोई काम न होने का बहाना बना आराम फरमा रहे हैं। अगर खुलते भी हैं तो दोपहर बाद ही कर्मचारी आते हैं। वहीं फोन करने पर कर्मचारी डकोर या फिर उरई डाकघर आने को कहते हैं।

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ब्लॉक क्षेत्र के ग्राम कुसमिलिया में उप डाकघर एक घर के कमरे में खुला है। यहां पर एक कर्मचारी इंचार्ज के रूप में तैनात है और एक कर्मचारी डाक ले जाने और ले आने के लिए रखा गया है। हालत यह है कि इस डाकघर में गांव के लोग जब अपने काम से आते हैं तो अक्सर इसमें ताला लटका रहता है। जिससे वह बैरंग लौट जाते हैं। जब वह यहां रहने वाले कर्मचारी रामचरन से बात करते हैं तो वह उन्हें उरई बुलाते हैं या फिर डकोर आने को कहता है। जब मिलेगी डाक, तब ही लौटना होगा संभव

उप डाकघर इंचार्ज रामचरन का कहना है कि वह डाक लेने डकोर जाते हैं। अगर डाक दोपहर बाद मिलेगी तो दोपहर बाद ही डाकघर खोला जाएगा। इसके पहले उनके पास कोई काम नहीं रहता है। लोगों की बात

डाकघर कभी भी समय से नहीं खुलता है। जब भी कर्मचारी को फोन करो तो वह डाक लाने बाहर जाने की बात कह देते हैं। दिवाकर गांव में मिनी डाकघर की सुविधा होने से कई लोगों के आरडी के साथ डाक आने संबंधी कामकाज होते रहते हैं। डाकघर न खुलने से उन्हें उरई या फिर डकोर जाना पड़ता है। अजीत दो शनिवार बैंक बंद रहने का प्रावधान है लेकिन यहां पर डाकघर तो हर शनिवार बंद रहता है। जिससे माह में चार दिन अतिरिक्त परेशानी होती है। सचिन अगर डाकघर को समय से और रोजाना खोला जाए तो काफी सहूलियत मिलेगी। कई गांवों के लिए लोगों को अन्य जगह नहीं जाना पड़ेगा। कृष्ण कुमार


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