चुनावी बिसात पर हर बार छला गया कालपी
संवाद सहयोगी कालपी (जालौन) कालपी अपने गौरवशाली पौराणिक एवं ऐतिहासिक स्वरूप के बाद भी
संवाद सहयोगी, कालपी (जालौन) : कालपी अपने गौरवशाली, पौराणिक एवं ऐतिहासिक स्वरूप के बाद भी पर्यटन के मानचित्र पर आने को तरस रहा है। अरसे से इसकी मांग रही, पर राजनीतिक दलों ने इसे कभी मुद्दा नहीं बनाया। अगर कालपी को पर्यटन स्थल घोषित कर दिया जाए तो यहां के विकास को पंख लग सकते हैं। वहीं राज्य सरकार को राजस्व मिलेगा तो स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर भी उपलब्ध हो सकेंगे।
कालपी व आसपास के क्षेत्र में अनेक ऐतिहासिक धरोहरों के स्मारकों को देखते हुए पर्यटन की विपुल संभावनाएं हैं। मुगलों के अलावा मराठा व महाभारत कालीन मंदिर, चौरासी गुंबद, व्यास जन्मस्थली, रानी लक्ष्मीबाई का मंत्रणा कक्ष व सुरंग, सूर्य मंदिर समेत कई शासकों के अवशेष मौजूद हैं। कालपी में देश के दुर्गम दुर्ग में शामिल ऐतिहासिक अभेद्य किला के अलावा तमाम पुरामहत्व के स्मारक, मंदिर, बावड़ियां हैं। इनमें वीरबल का रंगमहल, टोडरमल की टकसाल, लंका मीनार, खानकाह शरीफ, बटाऊलाल, भीमसेनी हनुमान मंदिर, पातालेश्वर, मराठा कालीन गणेश मंदिर सहित कई स्मारक हैं। सभी स्मारक अभी तक पुरातत्व विभाग के अधीन भी नही हैं। दुखद पहलू यह है कि पुरातत्व विभाग ने भी इनके संरक्षण को लेकर कभी रुचि नहीं दिखाई। बन सकता पर्यटन सर्किट
सरकार चाहे तो कदौरा, हरचंदपुर, मुसमरिया, इटौरा, परासन को मिलाकर पर्यटन सर्किट बना सकती है। इसके बन जाने से मुंबई, गुजरात व राजस्थान के लोग इधर से गुजरते समय दर्शनीय स्थलों के अवलोकन के साथ यहां के समृद्धशाली इतिहास से रूबरू हो सकेंगे। वर्षो से चल रही मांग
नगर को पर्यटक स्थल के रूप में घोषित करने के लिए कई साल से मांग होती रही है। सरकार से आश्वासन भी मिले, लेकिन हुआ कुछ नहीं। स्थानीय नवोदय कलाप्रिय संस्था समेत विभिन्न संगठनों व नागरिकों की ओर से जनप्रतिनिधियों, मुख्यमंत्री तक को ज्ञापन दिए जा चुके हैं, लेकिन अभी तक इस दिशा में कोई सकारात्मक पहल होती नहीं दिख रही। पुरातत्व विभाग को पत्र लिखकर इस ओर पहल करने के लिए अवगत कराया जाएगा। साथ ही जो प्रयास किए जा सकते हैं उसकी शुरुआत की जाएगी। -सुनील कुमार शुक्ला, एसडीएम