संकट के समय अपनों ने ही नहीं दिया परिवार का साथ
म•ाहबे इस्लाम में माहे रम•ान की बहुत बड़ी ़फ•ाीलत है और उसके विदा होते ही रो•ोदारों को ईद की खुशी अल्लाह की तरफ से हासिल होती है। मगर इस व़क्त जो हालत पूरी दुनिया व हिदुस्तान में कोरोना वायरस की वजह से पैदा हो गये है और हु़कूमत ने लॉकडाउन लागू कर रखा है उसी पर अमल करते हुए मुसलमानों ने बड़ी ही सादगी से ईद का त्यौहार मनाया जहां ईद की नमाज में हजारों की तादाद नमाजियों की होती थी तो वहां पर हर जगह चंद लोगों ने नमाज अदा की। नगर की ईदगाह में मौलाना नजमुलहुदा खानकाह शरीफ के मुफ्ती अशफाक बरकाती बड़ी मस्जिद में हाफिज इरशाद अशरफी मुड़िया गुम्बद में हाफिज अमानत मखदूमिया मस्जिद में मौलाना जियाउद्दीन सय्यदों वाली मस्जिद में हाफिज जीलानी और इसके अलावा कई और मस्जिदों में ईद की नमाज चंद लोगों में अदा की गई।*
संवाद सूत्र, कदौरा : लॉकडाउन में एक दर्दनाक किस्सा सामना आया है जिसमें नोएडा की फैक्ट्री में काम करने पाला एक परिवार जोल्हूपुर मोड़ से बबीना गांव तक करीब 18 किमी. पैदल सफर कर गांव तक पहुंचा तो उसे बाहर ही रोक दिया गया। जैसे ही ग्रामीणों ने कहा कि 'किसी कीमत पर अंदर नहीं घुसने देंगे' वैसे ही प्रवासी परिवार स्तब्ध रह गया। ग्रामीणों की सूचना पर स्वास्थ्य विभाग की टीम पहुंची और जांच कर 14 दिन होम क्वारंटाइन करने का निर्देश दिया। उसके बाद पुलिस पहुंची और पुलिसकर्मियों ने ग्रामीणों को समझाया लेकिन वे राजी नहीं हुए। तत्पश्चात गांव के बाहर पंचायत भवन में पूरे परिवार को निगरानी में रखा गया।
बबीना निवासी धीरेंद्र सिंह उर्फ मुनुवा अपनी पत्नी व तीन बच्चों के साथ नोएडा की एक फैक्ट्री में काम करता था। लॉकडाउन के दौरान रोजगार तो छिना ही और करीब 46 दिन बाद मुश्किल भरा सफर तयकर गांव पहुंचा तो अपनों ने ही ठुकरा दिया। जमापूंजी देखी तो दस हजार निकली और एक डीसीएम चालक से भाड़ा तय कर मजदूर परिवार के साथ गांव को लौट पड़ा। धीरेंद्र बताते हैं कि 'ऐसे दुर्व्यवहार का सामना करना पड़ा है कि मानो कोई बहुत बड़ा अपराध करके आए हों। जिनकी अंगुली पकड़कर बड़ा हुआ था आज संकट के समय उन लोगों ने ही गांव में प्रवेश नहीं दिया।'
पानी लेने पर लगा दी रोक
धीरेंद्र की पत्नी ललिता ने बताया कि हम और हमारी बेटी मंदिर वाले हैंडपंप से पानी लेने के लिए गए, तो वहां से हमें भगा दिया गया। अगले दिन किसी ने हैंडपंप का हैंडिल ही हटा दिया ताकि हम लोग पानी नहीं भर सकें। घर परिवार के लोगों ने भी दूरी बना ली है और कोई मिलने तक नहीं आया। 18 वर्षीय बेटी रोशनी सिंह स्वजनों को याद कर आंसू बहाती है, लेकिन अब तो अपने ही बेगाने जैसा व्यवहार करने लगे हैं। बस इसी पंचायत भवन में किसी तरह 14 दिन कट जाएं, यही भगवान से मना रहे हैं।