गणतंत्र दिवस की सलामी के बाद इतिहास बन जाएंगी थ्री नॉट थ्री
जागरण संवाददाता उरई अंग्रेजों के जमाने से पुलिस विभाग में सुरक्षा के लिए 303 रायफल मुख्य असलहा रहा है थानों में तमाम आधुनिक सुविधायें सुलभ कराने के बाद असलहों में ज्यादा बदलाव नहीं किया गया लेकिन अब 303 की रायफलों की विदायी का वक्त आ गया है। गणतंत्र दिवस
जागरण संवाददाता, उरई : अंग्रेजों के जमाने से पुलिस विभाग में सुरक्षा के लिए 303 रायफल मुख्य असलहा रहा है। थानों में तमाम आधुनिक सुविधाएं सुलभ कराने के बाद असलहों में ज्यादा बदलाव नहीं किया गया, लेकिन अब 303 की रायफलों की विदाई का वक्त आ गया है। गणतंत्र दिवस की परेड में इन असलहों से अंतिम बार हर्ष फायरिग होगी। जिले के सभी थानों में 769 रायफलें थीं। इनको जमा करा लिया गया है।
गणतंत्र दिवस की परेड इस बार खास है। पुलिस लाइन में गणतंत्र दिवस की परेड को लेकर तैयारी पूरी कर ली गई है। आठ टोलियां इस बार की परेड में शामिल की गईं हैं। इनमें होमगार्ड, महिला पुलिस एवं एनसीसी कैडेटों की टोली भी शामिल है। इस बार की परेड हर्ष फायरिग को लेकर विशेष रहेगी। वजह, परेड के बाद पुलिस विभाग 70 वर्षों से मुख्य असलहे के तौर पर रही 303 बोर की रायफल हमेशा के पुलिस लाइन में हो जाएगा। उनकी जगह पर थानों में आधुनिक इंसास रायफलें दी गईं हैं। पुलिस अधीक्षक डॉ. सतीश कुमार ने बताया कि थ्री नाट थ्री (303) की सभी रायफलें पुलिस लाइन में जमा करा ली गईं हैं। परेड के दौरान आखिरी बार हर्ष फायरिग में इनका प्रयोग होगा। थ्री नाट थ्री हटने के बाद पुलिस थानों में इंसास व 7.62 रायफल मुख्य असलहे होंगे। निरीक्षक व उप निरीक्षक स्तर के पुलिस अधिकारियों के पास पिस्टल रहेगी। कारतूस नहीं होंगे जमा
303 रायफल 70 वर्षों से पुलिस विभाग की शान रही है, लेकिन अब ये रायफल चलन से खत्म हो रहीं है, लेकिन कारतूसों का क्या होगा इसको लेकर लोगों के मन में सवाल है। पुलिस अधीक्षक डॉ. सतीश कुमार ने बताया कि कारतूसों को जमा नहीं किया जा रहा है, जो कारतूस 303 रायफल में प्रयुक्त होते थे 7.62 रायफल में भी उन्हीं कारतूसों का इस्तेमाल होता है। कारतूसों की व्यवस्था यथावत रहेगी। 303 रायफल ने नहीं दिया कभी धोखा, कई डकैत हुए ढेर
रिटायर्ड उप निरीक्षक रमेश पाल सिंह का कहना है कि वर्ष 209 तक जनपद दस्यु समस्या से ग्रसित रहा है। निर्भय सिंह गुर्जर, रघुवीर ढीमर, राजू सिंह, चंदन यादव, जगजीवन परिहार, सलीम उर्फ पहलवान गुर्जर जैसे गिरोह से जब भी मुठभेड़ हुई मोर्चे पर 303 बोर की रायफल ही काम में आईं। आधुनिक असलहे और बेहतर होंगे लिहाजा असलहों के बदलाव को लेकर किसी तरह की आलोचना नहीं करनी चाहिए।