उरई-- महासमर-सौ वर्ष पार मतदाता से बातचीत) हाथ उठा तय किए जाते थे विकास के मुद्दे
जागरण संवाददाता उरई आजादी के बाद जब चुनाव शुरू हुए तो लोगों में खासा उत्साह था। सरल ढ
जागरण संवाददाता, उरई : आजादी के बाद जब चुनाव शुरू हुए तो लोगों में खासा उत्साह था। सरल ढंग से प्रचार प्रसार किया जाता था। डकोर गांव की रहने वाली 103 वर्षीय गुलाब रानी पुरानी यादें ताजा करते हुए कहती हैं कि सड़क, पानी आदि की समस्या दूर करने के लिए गांव के लोग हाथ उठाकर मुद्दे तय करते थे। जब नेता वोट मांगने आते थे तो उनके सामने वही मांगें रखी जाती थीं।
चेहरे पर भले ही झुर्रियां पड़ गई हो और हाथ-पैर व आंखें भी उतनी साथ नहीं देती, लेकिन वोट डालने के लिए उत्साह अभी भी कायम है। गुलाब रानी कहती हैं कि पहले आपस में तनिक भी बैर नहीं था। दो उम्मीदवारों के एक साथ गांव आने पर क्या मजाल कि किसी तरह की नारेबाजी हो। दो उम्मीदवार एक-दूसरे से राम जुहार करते थे। किसी तरह का चुनावी मतभेद नजर नहीं आता था। जब प्रत्याशी लौट जाते थे तो ग्रामीण चौपाल लगा यह तय करते थे कि वोट किसे देना है। पहले अलग-अलग पेटियां रखी रहती थीं, उसी में चुनाव निशान बना रहता था। घर के पुरुष महिलाओं को समझाते थे कि वोट कैसे डालना है। उसके बाद महिलाएं समूह के रूप में मताधिकार का प्रयोग करती थीं। तब साधनों का अभाव था। मतदान करना बड़ा कठिन नजर आता है।