धनुष टूटते ही गूंजे जय श्रीराम के जयकारे
संवाद सहयोगी, कोंच : नगर की प्राचीन एवं ऐतिहासिक रामलीला में धनुष यज्ञ लीला का मंचन किया गया
संवाद सहयोगी, कोंच : नगर की प्राचीन एवं ऐतिहासिक रामलीला में धनुष यज्ञ लीला का मंचन किया गया। लीला मंचन के दौरान अपार जन समूह के बीच भगवान राम ने धनुष तोड़ कर सीता को वरमाला पहना विवाह रचाया।
रामलीला रंगमंच पर संपन्न हुई धनुष यज्ञ लीला में राजा जनक दरबार में बैठे हुए हैं और अपनी पुत्री सीता के विवाह के लिए मंत्री सामंतों से मंत्रणा कर स्वयंवर का निर्णय लेते हैं। तय होता है कि स्वयंवर के लिए सभी योग्य राजाओं को निमंत्रण भेजा जाए। जो भी राजा धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा लेगा उसे ही सीता अपना वर चुनेंगी। लंका के राजा रावण तथा वाणासुर सहित अनेक राजा महाराजा भी इस स्वयंवर में भाग लेते हैं। राजा जनक के दरबार में मौजूद एक भी योद्धा धनुष को हिला भी नहीं पाते। प्रत्यंचा
चढ़ाना दूर की बात। भरी सभा में जब कोई राजा धनुष को नहीं हिला पाया तो राजा जनक निराश होने लगते हैं। उनकी निराशा देख गुरू विश्वामित्र राम को आदेश देते हैं कि वह आगे बढ़ें और धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा दें। गुरू का आदेश मिलते ही भगवान राम धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ा देते हैं। इस दौरान धनुष भी टूट जाता है। इस प्रकार जनक का स्वयंवर कराने का मकसद पूरा होता है और सीता राम के गले में वरमाला पहनाकर उन्हें अपना पति मान लेती हैं। दोनों का विवाह धूमधाम के साथ होता है। इस लीला को देखने के लिए भारी संख्या में दर्शक वहां पहुंचे उन्होंने अपने प्रिय अराध्य देव भगवान राम के दर्शन कर हर्ष व्यक्त कर आतिशबाजी चलाकर श्री राम सीता के विवाह की खुशियां मनाईं। राजा जनक की भूमिका रमेश तिवारी, राम की भूमिका प्रथम द्विवेदी, लक्ष्मण की भूमिका संस्कार द्विवेदी ने निभाई।