लगातार बिगड़ती जा रही यातायात व्यवस्था
जागरण संवाददाता, उरई : ट्रैफिक पुलिस में इच्छाशक्ति का अभाव कहें या फिर संसाधनों की कम
जागरण संवाददाता, उरई : ट्रैफिक पुलिस में इच्छाशक्ति का अभाव कहें या फिर संसाधनों की कमी, शहर में यातायात व्यवस्था लगातार बिगड़ती जा रही है। पिछले तीन साल में सबसे ज्यादा सड़क हादसे इसी साल हुए हैं। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि स्थिति किस कदर बिगड़ती जा रही है। शहर के भीतर मुख्य चौराहों पर ट्रैफिक सिपाहियों के बजाए होमगार्ड व पीआरडी जवान ड्यूटी करते नजर आते हैं।
यातायात व्यवस्था पर नियंत्रण रखने की जिम्मेदारी ट्रैफिक पुलिस की होती है। ट्रैफिक पुलिस में टीएसआइ समेत 17 पुलिस कर्मियों की तैनाती है। नियतन के लिहाज से देखा जाए तो यह अनुपात पूरा है। लेकिन शहर के मुख्य चौराहों पर ट्रैफिक नियंत्रण के लिए बुनियादी संसाधन पूरे नहीं हैं। शहीद भगत ¨सह चौराहे पर इलेक्ट्रानिक ट्रैफिक सिग्नल लगाने का प्रस्ताव बनाया गया था, लेकिन उस पर आगे काम नहीं हुआ। हालांकि यहां पर ट्रैफिक कर्मियों के बैठने के लिए एक बूथ तो स्थापित है, लेकिन घंटाघर चौराहा, जिला परिषद तिराहा एवं बीएसएनएल दफ्तर चौराहे पर तो ट्रैफिक के बूथ ही नहीं हैं। यहां होमगार्ड व पीआरडी के जवान ट्रैफिक व्यवस्था पर नियंत्रण करने में जूझते नजर आते हैं।
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वन-वे व्यवस्था भी लागू नहीं
मुख्य बाजार में जाम लगने की सबसे बड़ी वजह वाहनों का बेतरतीब तरीके से वहां प्रवेश करना है। सड़क के दोनों तरफ अतिक्रमण की वजह से वन-वे सिस्टम को लागू नहीं किया जा सका है। जगह नहीं होने की वजह से वाहनों की पार्किंग व्यवस्था भी नहीं है। यही वजह है कि दिन व दिन ट्रैफिक व्यवस्था चरमराती जा रही है।
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वसूली में मस्त रहते ट्रैफिक कर्मी
शहर के भीतर ट्रैफिक व्यवस्था बुरी तरह से चरमरा गई है, जबकि यातायात प्रभारी की गाड़ी हाईवे पर मंडराती नजर आती है। कई बार ट्रैफिक पुलिस पर अनाधिकृत रूप से हाईवे पर खड़े होकर वसूली किए जाने की शिकायतें सामने आती रही हैं।
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क्या कहते हैं जिम्मेदार
सीओ सिटी संतोष कुमार का कहना है कि यातायात माह में ट्रैफिक व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए ठोस कार्ययोजना बनाई गई है। ट्रैफिक नियमों का पालन करने के लिए लोगों को भी जागरूक किया जाएगा।