खेती का विज्ञान : मटर की खेती से एक हेक्टेयर में पा सकते एक लाख
मटर की खेती करके किसान एक हेक्टेयर में एक लाख तक का मुनाफा कमा सकते हैं। बुंदेलखंड में बोई जाने वाली
मटर की खेती करके किसान एक हेक्टेयर में एक लाख तक का मुनाफा कमा सकते हैं। बुंदेलखंड में बोई जाने वाली प्रजातियां 30 से 32 कुंतल तक की पैदावार दे सकती हैं। इसके लिए उपजाऊ मिट्टी की तैयारी तथा खरपतवार व रोगों से बचाव आवश्यक है। उर्वरक की मात्रा व ¨सचाई उपयुक्त समय पर की जानी चाहिए। फसल की बोआई ठीक समय पर हो तो पैदावार में इजाफा हो सकता है।
खेत की तैयारी
मटर के लिए दोमट व हल्की दोमट मिट्टी अधिक उपयुक्त होती है। प्रथम जोताई मिट्टी पलटने वाले हल से तथा दूसरी जोताई देसी हल कल्टीवेटर से करें। बाद में पाटा लगा दें। खेत में पर्याप्त नमी के समय बोआई करनी चाहिए।
बुंदेलखंड की बीज प्रजातियां
उत्पादक क्षमता बढ़ाने के लिए बुंदेलखंड में इंद्र केपीएनआर 400, मालवी मटर 15, जेपी 885, आदर्श आइपीएस 99.25 सपना केपीएमआर 144 व प्रकाश प्रजातियां हैं। इनके पकने की अवधि अधिकतम 130 से 135 दिन है। यह प्रजातियां अधिकांश विरोधी प्रजातियां हैं जिस से लाभ होता है।
बोआई का समय व बीज शोधन
बीज जनित रोग से बचाव के लिए 200 ग्राम राइजोबियम कल्चर से 10 किलोग्राम बीज को उपचारित करके बोना चाहिए। पीएसबी कल्चर का अवश्य प्रयोग करें। अन्य उपचार कृषि वैज्ञानिकों से जानकारी करके करें। इसकी बोआई में 80 किलो से 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर में तथा बोनी प्रजातियां 125 किलोग्राम की जानी चाहिए। अक्टूबर के मध्य से नवंबर के मध्य तक बोआई कर लें। लाइन से लाइन की दूरी 20 से 30 सेंटीमीटर होनी चाहिए।
¨सचाई का समय
जाड़े में बारिश ना हो तो फूल आने के समय एक ¨सचाई करनी चाहिए। दाना भरते समय दूसरी ¨सचाई लाभप्रद होती है। गौछारी ¨सचाई बुंदेलखंड के लिए लाभकारी है।
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रोगों से करें बचाव
मटर में बुकनी व सफेद झुलसा बीज तने की मक्खी व पत्ती में सुरंग बनाने वाले और फली बेधक कीट आदि रोगों से बचाव जरूरी है। इसके लिए नजदीक के कृषि रक्षा केंद्र से रोग के लक्षण बता कर उपयुक्त मात्रा में दवा का छिड़काव करें तो पैदावार में इजाफा होगा।
डॉ. राजीव कुमार ¨सह, वरिष्ठ कृषि वैज्ञानिक