महिलाओं को चढ़ा रहीं स्वरोजगार की 'सीढ़ी'
हरी मिश्र, औरैया : गरीबी से उबरने की चाह के साथ प्रेरणा मिली तो जनपद की तमाम महिलाएं स्वर
हरी मिश्र, औरैया : गरीबी से उबरने की चाह के साथ प्रेरणा मिली तो जनपद की तमाम महिलाएं स्वरोजगार से ऐसा जुड़ीं, कि अब वह अपने घरों का खर्च चलाने वाली बन गईं। उन्होंने ऐसे रोजगार शुरू किए जो ग्रामीण परिवेश से मेल खाते थे। उनके इस हौसले को पंख दिए समूहों के गठन का काम कर रही संस्था अपेक्षा महिला एवं बाल विकास समिति की सचिव रीना पांडेय ने। जनपद में 50 समूहों की कई सैकड़ा महिलाएं खुद के रोजगार से जुड़ चुकी हैं।
ढाई साल पूर्व जनपद में समूहों का गठन शुरू करने वाली रीना पांडेय बताती हैं कि पहले तो महिलाओं को प्रेरित करने और उन्हें नई दिशा में मोड़ने के लिए मेहनत करनी पड़ी लेकिन जैसे ही महिलाओं में हौसला बढ़ा वैसे ही नई इबारत ने जन्म ले लिया। अब इन समूहों द्वारा अलग-अलग तरीके के उत्पाद तैयार किए जाते हैं। इससे महिलाओं की आमदनी बढ़ रही है, जो उन्हें घर व समाज में स्थान भी दिला रही है। रीना बताती हैं कि कई समूह तो ऐसे कामों से अपनी आमदनी कर रहे हैं जो काम पैतृक होने के बावजूद अपना वजूद खोते जा रहे थे। नाबार्ड से मिलती सहायता
मूल रूप से कानपुर निवासी रीना बताती हैं कि एक समूह को विकसित करने के लिए तीन साल का समय मिलता है। यदि समूह की स्थिति बेहतर हो जाती है तो नाबार्ड से प्रति समूह उन्हें दस हजार रुपये मिलता है। यदि समूह के उत्थान में कमी रह गई तो ये भुगतान आधा हो जाता है। जनपद में स्वरोजगार से जुड़े समूह -50
समूहों से जुड़ी महिलाएं -452
नए बने समूह - 50
नए समूहों से जुड़ी महिलाएं - 671 समूहों द्वारा किए जा रहे काम
-झाड़ू बनाना
-लिफाफा बनाना
-डिटर्जेट पाउडर बनाना
-रेडीमेड कपड़ों की ट्रे¨डग
-कास्मेटिक शाप
-जनरल स्टोर
-सिलाई
-दोना-पत्तल
-चिप्स व पापड़
-अचार व मुरब्बा
-बैग बनाना