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उम्र 55 की, जल सहेजने की सोच युवा

विमल पांडेय उरई उनकी उम्र 55 साल की मगर सोच और जज्बा युवाओं जैसा। बस ध्येय एक ही अपने गांव को पानी संकट से उबारने का। कई झंझावतों के बाद भी कदम न पीछे हटे और न ही अपने मकसद से भटके। पानी बचाने के अभियान में कारवां बढ़ता ही गया और मंजिल मिलती गई। यह दृढ़ता है जालौन जिले के रामपुरा विकासखंड में किशुनपुरा गांव की सुशीला देवी की जो वर्ष 2011 से पानी बचाओ अभियान में कूदने के बाद बुंदेलियों को पानी का मोल समझा रहीं हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 17 Apr 2021 07:15 PM (IST)Updated: Sat, 17 Apr 2021 07:15 PM (IST)
उम्र 55 की, जल सहेजने की सोच युवा

विमल पांडेय, उरई

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उनकी उम्र 55 साल की, मगर सोच और जज्बा युवाओं जैसा। बस ध्येय एक ही, अपने गांव को पानी संकट से उबारने का। कई झंझावतों के बाद भी कदम न पीछे हटे और न ही अपने मकसद से भटके। पानी बचाने के अभियान में कारवां बढ़ता ही गया और मंजिल मिलती गई। यह दृढ़ता है जालौन जिले के रामपुरा विकासखंड में किशुनपुरा गांव की सुशीला देवी की, जो वर्ष 2011 से पानी बचाओ अभियान में कूदने के बाद बुंदेलियों को पानी का मोल समझा रहीं हैं।

दरअसल, पहुज नदी के किनारे उनके गांव में भी कभी पानी का विकराल संकट रहा। ग्रामीण कई किलोमीटर से पानी लाने को जूझते थे। नदी से पानी लाते थे। ऐसे में सुशीला ने गांव में पानी पंचायत शुरू की। करीब 50 महिलाओं की एक मजबूत टीम तैयार की। गांव के स्थायी एवं पारंपरिक जल स्रोतों को मजबूत करने के लिए एक संस्था के माध्यम से 'पानी प्रथम हकदारी परियोजना' का शुभारंभ कराया। नहरों और बंधों का सुदृढ़ीकरण कराया। एक दर्जन कुओं की सफाई कराई। इससे गांव पानी हो गया। उनके पास आठ बीघे की खेती भी है, जो पति बलवंत के सहयोग से खुद करवाती हैं।

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जागरूकता से ही बचेगा पानी, सुरक्षित होगा कल

सुशीला कहती हैं कि अब जल संकट जब मुहाने पर है तो लोगों को पानी का मोल समझ में आने लगा है। लोगों ने पानी को सुरक्षित करने के लिए काफी परिश्रम किया है। अब गांव में पानी की समस्या नहीं है। सुशीला रामपुरा ब्लाक में जल सहेली के रूप में गांव-गांव अभियान को गति दे रही हैं। उनका मकसद है कि ग्रामीण अब सावधान हो जाएं, क्योंकि बुंदेलखंड में आने वाले समय में सबसे अधिक पानी का संकट ही होगा। जलसंरक्षण और भूजल की सुरक्षा ही सबसे अहम जिम्मेदारी है।

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सुशीला के प्रयास से ये काम हुए

- 200 बीघा खेतों में पानी बचाने के लिए सामूहिक मेड़बंदी कार्यक्रम

- किशुनपुरा गांव के निनावली नाले में चेकडैम का निर्माण।

- 200 से अधिक पारंपरिक जल स्त्रोतों का जीर्णोद्धार

- 100 कुओं की सफाई व जलसंरक्षण के लिए प्रेरित करना।

- 200 से अधिक गांवों में पानी के लिए जागरूकता चौपालें।

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पानी के लिए सुशीला का प्रयास सराहनीय है। हर गांव में महिलाएं ऐसे ही जन सरोकार पर काम करें तो जल संरक्षण पर बेहतर काम होगा।

- संजय सिंह, सचिव, परमार्थ सामाजिक संस्थान, जालौन।


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