324 किमी. की दूरी और पैदल सफर
बाहरी लोगों का कराया स्वास्थ्य परीक्षण फोटो संख्या 2
संवाद सूत्र, आटा/कुठौंद : काम धंधा बंद, हाट-बाजार की दुकानों के गिरे शटर, खाली जेब और पास में राशन नहीं, आखिर क्या करें-कहां जाएं? परदेश में पड़े हैं, कोई नाते-रिश्तेदार नहीं, किससे मदद मांगे? ट्रेनें चल नहीं रहीं, बसों के पहिए थमे हुए हैं, घर सैकड़ों किमी. दूर है। अपनों के बीच पैदल चलकर पहुंचना ही मजबूरी है। यह दर्द है ऐसे वर्ग का, जो रोजी-रोटी की तलाश में दूसरे शहरों या राज्यों में पड़े हैं।
झांसी-कानपुर हाईवे पर आटा के पास शनिवार सुबह करीब नौ बजे 15 युवकों का जत्था पीठ पर बैग लादे चला जा रहा था। किसी से कोई बात नहीं, चेहरा उदास, चाल में तेजी पर शरीर थककर चूर। आवाज देने पर रुकने के बजाए चाल में तेजी आ जाती है, मानो कोई पकड़ने वाला हो। काफी कुरेदने पर एक युवक ने बताया कि वह लोग मकान निर्माण से जुड़ा काम करते हैं। कोई राजगीर है तो कोई मजदूर। सभी रायबरेली व आसपास के गांवों में रहते हैं। कुछ आपस में रिश्तेदार हैं। समाजसेवियों की पड़ी नजर तो भरा पेट
बातचीत से निश्चित हुए तो गेंदालाल, अजीत कुमार और सागरमल बताते हैं कि तंगहाली से जूझ रहे हैं। कहीं कोई काम नहीं है। जितना था, खानेपीने में खर्च हो गया। अब फूटी कौड़ी नहीं है। मजबूरी में शाम पांच बजे पैदल ही घर के लिए चल दिए। रातभर सफर किया। सड़क का सन्नाटा काटने को दौड़ रहा था। पूंजी के रूप में केवल पीठ पर लदे बैग में कपड़े ही हैं। सौ किमी. चलने के बाद उरई पहुंचे तो बाइक से जा रहे कुछ लोगों ने लंच पैकेट दिए। कल सुबह के बाद आज भोजन नसीब हुआ है। एकाएक बछरावां निवासी रमेश बोल पड़ा, कोई बात नहीं, देश पर कोरोना का संकट है, इसलिए यह कड़ाई है। किसी न किसी तरह घर तो पहुंच ही जाएंगे। कष्ट ही सही। यह था मजदूर वर्ग के युवकों के अंदर का जज्बा। किराए पर ली साइकिल और चल दिए एमपी से
संवाद सूत्र, कुठौंद : कानपुर देहात के कसोलर गांव निवासी भाई शिवनाथ सिंह और राजकुमार मध्यप्रदेश के अशोक नगर में रहकर गुब्बारे बेचने का काम करते हैं। महामारी के बाद बने हालात से काम धंधा बंद हो गया। शिवनाथ ने बताया कि बुधवार को परिचित से तीन रुपये प्रतिदिन के हिसाब से साइकिल किराये पर ली और घर के लिए चल दिए। रास्ते में साइकिल खराब हो गई तो पैदल चलना पड़ा। एक युवक ने मदद करते हुए साइकिल बनवाई और भोजन कराया। इधर, गाजियाबाद में दिहाड़ी मजदूरी करने वाले रामऔतार, पुष्पेंद्र, नंदराम, दीपक व जयकुमार समेत 25 लोग परिवार के साथ पैदल ही राठ के लिए पैदल चल दिए। शनिवार को महिलाओं और बच्चों की भूख से हालत खराब हो गई। जिसके बाद कस्बे के युवकों ने भोजन कराया और कुलदीप मिश्रा ने पुलिस की अनुमित लेकर अपनी लोडर से सभी को उरई भिजवाया। थकान से चूर रामऔतार ने बताया कि वह लोग बेलदारी (लकड़ी) का काम करते हैं। मजबूरी में पैदल ही चलना पड़ा। पैसा दिया मकान के किराए में, जेब हो गई खाली
संवाद सहयोगी, जालौन : इटावा में मजदूरी करने वाले लोगों के जबरिया मकान मालिक ने किराया ले लिया। जेब खाली हो गई, खाने का ठिकाना नहीं था। जिसके बाद परिवार के साथ सभी राठ स्थित घर के लिए चल दिए। शुक्रवार दोपहर इटावा बाईपास पर ट्रक चालक ने मदद की और औरैया तक छोड़ दिया। वहां से पैदल जालौन पहुंचे। भूख से बेहाल महिलाएं बेदम होकर बैठ गईं, समाजसेवियों ने भोजन कराया, जिसके बाद फिर पैदल ही राठ के लिए चल दिए। राठ निवासी धीरज, मोहित, रानी व कासिम आदि ने बताया कि औरैया से 42 किमी. की दूरी पैदल ही तय करनी पड़ा। जहां पुलिस दिखती तो ग्रामीण इलाके के खेतों से होकर निकले। इधर, गाजियाबाद से कोंच के लिए चले हामिद, आशिक अली, लखन, राकेश, नरेश आदि के साथ 16 लोग थे। सभी हरियाणा में एक फैक्ट्री में काम करने वाले दमां निवासी सुमित, जयपाल व कमसेरा निवासी शिवेंद्र दो दिनों तक पैदल सफर तय करने के बाद जालौन पहुंचे।