Move to Jagran APP

जालौन में नहर ओवरफ्लो होने से सौ एकड़ फसल बर्बाद

संवाद सहयोगी माधौगढ़ नहर विभाग की लापरवाही से माधौगढ़ क्षेत्र में एक बार फिर से नहरें

By JagranEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 12:00 AM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 12:00 AM (IST)
जालौन में नहर ओवरफ्लो होने से सौ एकड़ फसल बर्बाद
जालौन में नहर ओवरफ्लो होने से सौ एकड़ फसल बर्बाद

संवाद सहयोगी, माधौगढ़ : नहर विभाग की लापरवाही से माधौगढ़ क्षेत्र में एक बार फिर से नहरें ओवरफ्लो हो गई। इस बार भी क्षेत्र के दौ सौ किसानों की 100 एकड़ में खड़ी चना, मसूर, सरसो व मटर की फसल जलमग्न हो गई। किसानों ने जिलाधिकारी से मुआवजा की मांग की है। आरोप है कि नहर फुलगेज से नहीं चलाने की कई बार शिकायत के बाद भी विभाग ने कम नहीं कराया। डीएम ने पूरे प्रकरण की जांच कराए जाने का आश्वासन दिया है।

loksabha election banner

माधौगढ़ क्षेत्र की नहरों में कई दिनों से पानी धीरे-धीरे बढ़ रहा था। दो दिन पहले स्थानीय किसानों ने तहसील प्रशासन ने शिकायत किया था कि नहरें फुलगेज के साथ चल रहीं हैं कभी भी यह नहरें ओवरफ्लो हो सकती हैं। प्रशासन ने इस ओर ध्यान नहीं दिया और सोमवार की रात से लगातार पानी खेतों में लबालब भरता गया। नहरों के ओवरफ्लो होने से लगगभग सौ से ज्यादा किसान प्रभावित हुए हैं।

नाराज किसानों ने किया प्रदर्शन, दिया ज्ञापन :

मंगलवार को तहसील में किसानों ने नहर व माईनरों से सैकड़ों बीघा बोई गई फसल जलमग्न होने पर एसडीएम को ज्ञापन सौंपा। सिंचाई विभाग की लापरवाही से किसान भुखमरी की कगार पर पहुंच गए हैं। जिला पंचायत सदस्य रवींद्र सिंह हरौली की अगुआई में 50 से अधिक किसानों ने तहसील परिसर में एक घंटे सिंचाई विभाग के खिलाफ नारेबाजी की। बाद में डीएम को संबोधित एसडीएम को शालिकराम को ज्ञापन सौंपा। आरोप है कि कैलोर माइनर पक्की न होने से 20 किसानों की दस एकड़ खेत में खड़ी फसल जलमग्न हो गई है। यही हाल रूदपुरा में हुआ। यहां 25 किसानों की 40 बीघा फसल बर्बाद हो गई। रजबहा से पानी आने से मिहौनी,जमरेही, हरौली, सुल्तानपुरा के 50 किसानों की 100 एकड़ खेतों में खड़ी फसल जलमग्न है। किसानों का कहना है कि जल्द मुआवजा नहीं मिला तो धरना प्रदर्शन किया जाएगा। विजय कुशवाहा, जसवंत सिंह, सुरेंद्र, विकास सिंह, गिरेंद्र सिंह, राहुल, सोबरन, सुंदर सिंह, राम औतार बौद्ध, कुलदीप, रुपसिंह आदि ने विरोध जताया।

पहले भी नहरें कटान से हो चुकी हैं फसलें नष्ट :

21 अक्टूबर - कोंच के पिरौना व इंगुई में 10 एकड़

चार नवंबर - कोंच के गोरा करनपुर व जुझारपुरा में पांच एकड़

10 नवंबर - माधौगढ़ में बुढ़नपुरा, सुरपतिपुरा व अकबरपुरा में 50 बीघा

15 नवंबर - डकोर के मोहाना में 50 एकड़

16 नवंबर - रामपुरा के बघावली में 30 एकड़ कच्ची पटरी होने से भरता पानी

ज्यादातर खेतों में नहर किनारे किसानों द्वारा जब खांदी की जाती है तो मिट्टी को सही तरीके से नहीं भरा जाता है जिससे नहरों में पानी आने पर मिट्टी कटाने के कारण खेत भर जाते हैं। साथ ही पक्की नहरें न होने से भी पानी की रिसाव होकर खेतों में जाता है जिससे फसलें जलमग्न हो जाती हैं। बोले किसान

नहरें हमेशा फुलगेज से चलाई जाती हैं लेकिन मिट्टी कट जाने से खेतों में पानी पहुंच जाता है जिससे बोई गई फसल में पानी भर जाता है जिससे फसल नष्ट होती है और काफी नुकसान होता है।

मोनू सिंह खेतों में पानी भरने से फसलें नष्ट हो गयी है। कई बार नहरों का गेज कम करने के लिए कहा गया लेकिन फिर भी विभाग इस पर ध्यान नहीं देता है जिससे हर बार फसलें खराब हो जाती हैं।

भगवानदास पाल


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.