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नौनिहालों में शिक्षा की लौ जला रहे युवा

विष्णुपुरी के दो युवा अपनी पढ़ाई के साथ गरीब बचों को पढ़ा रहे अभी तक कक्षा आठ तक के विद्यार्थी स्कूलों में नहीं जा रहे।

By JagranEdited By: Published: Fri, 22 Jan 2021 01:03 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2021 01:03 AM (IST)
नौनिहालों में शिक्षा की लौ जला रहे युवा
नौनिहालों में शिक्षा की लौ जला रहे युवा

प्रमोद सिंह, हाथरस : कोरोना काल अभी चल रहा है और स्कूलों पर ताले लटके हुए हैं। बच्चों की पढ़ाई नहीं हो पा रही है। इस दौरान ऑनलाइन पढ़ाई सिर्फ प्राइवेट स्कूलों के साधन-संपन्न बच्चों तक सीमित है। ऐसे में शहर के कुछ युवाओं ने सरकारी स्कूलों में पढ़ने वालों की चिता की। कोरोना संक्रमण कम होने पर विष्णुपुरी के युवाओं की टोली ने ऐसे बच्चों की पढ़ाई जारी रखने के लिए बीड़ा उठा रखा है। उन्हें पढ़ाने के साथ ही कॉपी पेंसिल का खर्च भी वहन कर रहे हैं। हम तंत्र के गण में इस बार ऐसे ही युवाओं की टोली से आपका परिचय करा रहे हैं।

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ऐसे मिली प्रेरणा

मार्च के आखिरी दिन चल रहे थे। परीक्षा का समय था। कोरोना का संक्रमण रोकने के लिए लॉकडाउन के तहत सरकारी स्कूल बंद कर दिए गए। निजी स्कूलों में ऑनलाइन पढ़ाई देखकर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को देखा तो अंतर्मन झकझोर कर रख दिया और तभी ठान लिया कि इन बच्चों को हर हाल में पढ़ाएंगे। मोहल्ला विष्णुपुरी के ही गली नंबर पांच में रहने वाले विकास और गली नंबर आठ में रहने वाले चिराग दीप सिंह ने बच्चों को पढ़ाने का मन बनाया। जलाया शिक्षा का दीया

विकास इगलास के शिवदान सिंह महाविद्यालय से बीएससी प्रथम वर्ष कृषि विज्ञान कर रहे हैं। वहीं चिराग दीप सिंह बागला डिग्री कॉलेज में बीएससी प्रथम वर्ष में अध्ययनरत हैं। इसके साथ ही नीट की तैयारियों में भी जुटे हुए हैं। जब कोरोना चरम पर था तो दोनों ही छात्रों ने आसपास के घरों में रहने वाले लोगों को बच्चों की पढ़ाई के लिए जागरूक किया। बच्चों के घर-घर जाकर दोनों युवाओं ने बच्चों को निश्शुल्क शिक्षा दी।

अब एक साथ दे रहे शिक्षा

लाकडाउन खत्म होने के बाद जब माहौल कुछ सही हुआ और कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या कम हुई। तब दोनों छात्रों ने घर पर ही बच्चों को बुलाना शुरू कर दिया। बच्चों की पढ़ाई के साथ-साथ उनकी शैक्षिक जरूरतों पर भी ध्यान देते हैं। अभी तक कक्षा आठ तक के विद्यार्थी स्कूलों में नहीं जा रहे। ऐसे बच्चे जिनके पास पेंसिल, कापी आदि समान नहीं होता है, वे जेब खर्च को मिलने वाले पैसे से उन्हें जरूरी संसाधन उपलब्ध कराते हैं। बोले युवा

कोरोना काल में छोटे बच्चों की पढ़ाई बुरी तरह प्रभावित हुई। पिछले कई महीने से अपनी पढ़ाई करने के साथ-साथ गरीब बच्चों को निश्शुल्क पढ़ाया जा रहा है, जिससे कि उनकी पढ़ाई प्रभावित न हो सके।

चिरागदीप सिंह गरीब बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा मोबाइल न होने की वजह से नहीं मिल पाई। ऐसे गरीब बच्चों को पिछले कई माह से पढ़ाया जा रहा है। एक दिन में तीन बैच लगाए जाते हैं। जिनमें आसपास के कक्षा आठ तक के बच्चों को पढ़ाया जाता है।

विकास


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