छल से सीता का हरण कर गया साधु वेशधारी रावण
हनुमान जी ने कर दिया लंका का दहन लंका पर विजय पाने के लिए रामादल ने की युद्ध की तैयारी
संवाद सहयोगी, हाथरस: रामलीला में शुक्रवार को सीता हरण व लंका दहन आदि लीलाओं का मंचन किया गया। संबंधित प्रसंगों पर कलाकारों की शानदार प्रस्तुति ने दर्शकों को भावविभोर कर दिया। दर्शक जय श्रीराम के जयकारे लगाकर कलाकारों के हौसला अफजाई कर रहे थे।
कोरोना काल में धार्मिक आयोजनों का महत्व बढ़ गया है। शहर में इन दिनों रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। इसमें वृंदावन के कलाकार विभिन्न प्रसंगों का मंचन कर रहे हैं। आचार्य कृष्ण मुरारी व्यास ने वर्णन करते हुए बताया कि प्रभु श्रीराम जानकी व लक्ष्मण के साथ पंचवटी में ठहरे हुए थे। तभी रावण के कहने पर मारीच सोने का हिरण बनकर कुटिया से गुजरता है। हिरण का शिकार करने के लिए राम उसके पीछे जाते हैं। राम का बाण लगते ही बहरुपिया मारीच हाय लक्ष्मण का उच्चारण जोर से करता है। उसे सुन सीता के कहने पर लक्ष्मण वन में भाई की मदद के लिए जाते हैं। तभी साधु वेशधारी रावण छल से सीताजी का हरण कर लेता है। आचार्य बताते हैं कि राम व लक्ष्मण वन में शबरी के कहने पर सुग्रीव से मिलते हैं। सुग्रीव के कहने पर हनुमान जी लंका पहुंचकर सीता जी का पता लगाते हैं। फिर अशोक वाटिका उजाड़ते हैं। पकड़े जाने पर रावण से सीती जी को सादर राम जी के समक्ष प्रस्तुत करने का आग्रह करते हैं। अहंकार में डूबा रावण उनकी पूंछ में आग लगाने का आदेश देता है। हनुमान पूरी लंका का दहन कर सीता जी से चूड़ामणि लेकर राम जी के पास लौटते हैं। मंचन में राम जी के द्वारा किया गया विलाप दर्शकों को द्रवित कर देता है।