पानी है जिदगानी, हर बूंद है अनमोल
जल संरक्षण के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक चलाएंगे अभियान पत्रक बांटे जाएंगे और घर-घर जाकर लोगों को करेंगे जागरूक नदियों व तालाबों को जनसहयोग से स्वछ बनाया जाएगा।
जासं, हाथरस : भूगर्भ जल स्तर लगातार कम हो रहा है, और दोहन अधिक हो रहा है। यह अंतर लगातार बढ़ रहा है। इस अंतर को बढ़ाने में सबमर्सिबल अधिक भूमिका निभा रहे हैं। गांवों में बिजली की उपलब्धता बढ़ने पर इनका अधिक प्रयोग हो रहा है। इसकी एक-एक बूंद अनमोल है। आने वाली पीढ़ी के सामने पानी का संकट रोकने के लिए अभी से सोचना होगा। इसकी एक-एक बूंद को सहेजना होगा। जल सरंक्षण की मुहिम में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भी अपनी भूमिका निभाएगा। इसके लिए संघ ने विस्तृत योजना तैयार की है।
बनाई है रणनीति
संघ की ओर से जल संरक्षण पर वृहद स्तर पर जागरूकता अभियान चलाया जाएगा। संगठन की ओर से जल संरक्षण के लिए पत्रक बांटे जाएंगे। गोष्ठियों के माध्यम से भी जागरूकता लाई जाएगी। नदियों व तालाबों को जनसहयोग से स्वच्छ बनाया जाएगा। जल संरक्षण के लिए संघ के स्वयंसेवक अब घर-घर जा कर लोगों को पानी बचाने व संरक्षण करने के प्रति लोगों को जागरूक करेंगे।
जल संरक्षण अनिवार्य काम
जल संरक्षण का अर्थ पानी की बर्बादी तथा प्रदूषण रोकने से भी है। जल संरक्षण एक अनिवार्य आवश्यकता है, क्योंकि वर्षाजल हर समय उपलब्ध नहीं रहता। अत: पानी की कमी को पूरा करने के लिए पानी का संरक्षण आवश्यक है। जनपद की सीमा में काली नदी और करवन नदी गुजर रही है। यह नदी कई स्थानों पर गंदे नालों का रूप ले चुकी है। पानी दूषित होने के साथ कम भी होता जा रहा है। ऐसे बचाएं जल
-अपने साथ हर नागरिक में जल संरक्षण के लिए जागरूकता लानी होगी।
-हर नागरिक शावर की जगह बाल्टी में पानी भरकर स्नान करें।
-सेविग करते समय नल बंद रखें।
-बर्तन धोते समय समय नल के स्थान पर टब का प्रयोग करें।
-वर्षा जल संचय करने के लिए रैन वाटर हार्वेस्टिग सिस्टम लगाएं। वर्जन
सबमर्सिबल से हो रहा जल दोहन चिता का विषय है। आवश्यकता से अधिक जल खर्च किया जा रहा है। हम अपनी आदतों को बदलकर जल की होने वाली अनावश्यक बर्बादी को रोक सकते हैं। शाखाओं के माध्यम से नगरों की बस्तियों व खंडों में टोलियां बनाकर समाज को जल बचाने के प्रति जगरूक किया जाएगा।
धर्मेंद्र, जिला प्रचारक, आरएसएस